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[ निरयावलिकासूत्र
मेरी छोटी माता चेलना देवी के उस दोहद की पूर्ति हो सकेगी।' इस प्रकार कहकर श्रेणिक राजा को इष्ट यावत् वाणी से सांत्वना दी। - आश्वस्त किया।
श्रेणिक राजा को आश्वस्त करने के पश्चात् अभय कुमार जहां अपना भवन था वहाँ आया। आकर गुप्त रहस्यों के जानकार आन्तरिक विश्वस्त पुरुषों को बुलाया और उनसे इस प्रकार कहादेवानुप्रियों! तुम जाओ और सुनागार (वध-स्थान) में जाकर गीला मांस, रुधिर और वस्तिपुटक (पेट का भीतरी भाग, आंतें) लाओ।
वे रहस्यज्ञाता पुरुष अभयकुमार की इस बात को सुनकर हर्षित एवं संतुष्ट हुये यावत् अभय कुमार के पास से निकले। निकलकर जहाँ वध-स्थल था, वहां पहुंचे और उन्होंने वहां से गीला मांस, रक्त एवं वस्तिपुटक को लिया। लेकर जहाँ अभय कुमार था, वहां आये। आकर दोनों हाथ जोड़कर यावत् उस मांस रक्त एवं वस्तिपुटक को रख दिया।
तब अभय कुमार ने उस रक्त और मांस में से थोड़ा भाग कैंची से काटा। काटकर जहाँ श्रेणिक राजा था, वहाँ आया और श्रेणिक राजा को एकान्त में शैया पर चित्त (ऊपर की ओर मुख करके) लिटाया। लिटाकर श्रेणिक राजा की उदरावली पर उस आर्द्र रक्त-मांस को फैला दिया-रख दिया और फिर वस्तिपुटक को लपेट दिया। वह ऐसा प्रतीत होने लगा जैसे रक्त-धारा बह रही हो।
और फिर ऊपर के माले में चेलना देवी को अवलोकन करने के आसन से बैठाया, अर्थात् ऐसे स्थान पर बिठलाया जहाँ से वह दृश्य को देख सके। बैठाकर चेलना देवी के ठीक नीचे सामने की ओर श्रेणिक राजा को शैया पर चित्त लिटा दिया। कतरनी से श्रेणिक राजा की उदरावली का मांस काटा, काटकर उसे बर्तन में रखा। तब श्रेणिक राजा ने झूठ-मूठ मूछित होने का दिखावा किया और उसके बाद कुछ समय के अनन्तर आपस में बातचीत करने में लीन हो गये।
तत्पश्चात् अभय कुमार ने श्रेणिक राजा की उदरावली के मांस-खण्डों को लिया, लेकर जहाँ चेलना देवी थी, वहाँ आया और आकर चेलना देवी के सामने रख दिया।
तब चेलना देवी ने श्रेणिक राजा के उस उदरावली के मांस के लोथडे से यावत अपना दोहद पूर्ण किया। दोहद पूर्ण होने पर चेलना देवी का दोहद संपन्न, सम्मानित और निवृत्त हो गया अर्थात् उसकी इच्छा पूर्ण हो गई। तब वह उस गर्भ का सुखपूर्वक वहन करने लगी। चेलना का विचार
१५. तए णं तीसे चेल्लणाए देवीए अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अयमेयारूवे (जाव) समुप्पज्जित्था-'जइ ताव इमेणं दारएणं गब्भगएणं चेव पिउणो उयरवलिमंसाणि खाइयाणि, तं सेयं खलु मए एयं गब्भं साडित्तए वा पाडित्तए वा गालित्तए वा विद्धंसित्तए वा', एवं संपेहेइ, संपेहित्ता तं गब्भं बहूहिं गब्भसाडणेहि य गब्भपाडणेहि य गब्भगालणेहि य गब्भविद्धंसणेहि य इच्छइ तं गब्भं साडित्तए वा पाडित्तए वा गालित्तए वा विद्धंसित्तए वा, नो चेव णं से गब्भे सडइ वा पडइ वा गलइ वा विद्धंसइ वा। तए णं सा चेल्लणा देवी तं गब्भं