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प्रथम वक्षस्कार]
गोयमा ! अयं णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए १, सव्वखुड्डाए २, वट्टे, तेल्लापूयसंठाणसंठिए वट्टे, रहचक्कवालसंठाणसंठिए वट्टे, पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिए वट्टे, पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिए वट्टे ३, एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं, तिण्णि जोयणसयसहस्साइं सोलस सहस्साइंदोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस अंगुलाई अद्धंगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवणं पण्णत्ते। ___ [३] भगवन् ! यह जम्बूद्वीप कहाँ है ? कितना बड़ा है ? उसका संस्थान कैसा है ? उसका आकारस्वरूप कैसा है ?
गौतम ! यह जम्बूद्वीप सब द्वीप-समुद्रों में आभ्यन्तर है-समग्र तिर्यक्लोक के मध्य में स्थित है, सबसे छोटा है, गोल है, तेल में तले पूए जैसा गोल है, रथ के पहिए जैसा गोल है, कमल की कर्णिका जैसा गोल है, प्रतिपूर्ण चन्द्र जैसा गोल है, अपने गोल आकार में यह एक लाख योजन लम्बा-चौड़ा है। इसकी परिधि तीन लाख सोलह हजार दो सौ सत्ताईस योजन तीन कोस एक सौ अट्ठाईस धनुष और साढ़े तेरह अंगुल से कुछ अधिक है। जम्बूद्वीप की जगती : प्राचीर
.४. से णं एगाए वइरामईए जगईए सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते।सा णंजगई अट्ट जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं, मूले बारस जोअणाई विक्खंभेणं, मझे अट्ट जोयणाई विक्खंभेणं, उवरि चत्तारि जोअणाई विक्खंभेणं, मूले वित्थिन्ना, मज्झे संक्खित्ता, उवरि तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिया, सव्ववइरामई, अच्छा, सण्हा, लण्हा, घट्ठा, मट्ठा, णीरया, णिम्मला,णिप्पंका,णिक्कंकडच्छाया, सप्पभा, समिरीया, सउज्जोया, पासादीया, दरिसणिज्जा, अभिरूवा, पणिरूवा। सा णं जगई एगेणं महंत गवक्खकडएणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता।
सेणंगवक्खकडए अद्धजोअणं उड़े उच्चत्तेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं, सव्वरयणामए, अच्छे ( सण्हे, लण्हे, घटे, मटे, णीरए, णिम्मले, णिप्पंके, णिक्कंकडच्छाए, सप्पभे, समिरीए, सउज्जोए, पासादीए, दरिसणिज्जे, अभिरूवे,) पडिरूवे।
तीसेणंजगईए उप्पिं बहुमज्झदेसभाए एत्थणं महई एगा पउमवरवेइया पण्णत्ता-अद्धजोयणं उड्ढे उच्चत्तेणं, पंच धणुसयाई विक्खंभेणं, जगईसमियां परिक्खेवेणं, सव्वरयणामई,अच्छा जाव १ पडिरूवा। तीसे णं पउमवरवेइयाए अयमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते, तं जहा- वइरामया णेमा एवं जहा जीवाभिगमे जाव अट्ठो जाव धुवा णियया सासया, (अक्खया, अव्वया, अवट्ठिया) णिच्चा।
[४] वह (जम्बूद्वीप) एक वज्रमय जगती (दीवार) द्वारा सब ओर से वेष्टित है। वह जगती आठ योजन ऊंची है। मूल में बारह योजन चौड़ी, बीच में आठ योजन चौड़ी और ऊपर चार योजन चौड़ी है। १. देखें सूत्र यही