SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३७९ ३७९ ३८० ३८२ ३८३ ३९० ३९६ ३९८ ४०० ४०५ ४०६ २५. नक्षत्र - देवता २६. नक्षत्र-तारे २७. नक्षत्रों के गोत्र एवं संस्थान २८. नक्षत्र चन्द्रसूर्ययोग-काल २९. कुल-उपकुल-कुलोपकुल : पूर्णिमा, अमावस्या ३०. मास-समापक नक्षत्र ३१. अणुत्वादि-परिवार ३२. गतिक्रम ३३. विमानवाहक देव ३४. ज्योतिष्क देवों की गति : ऋद्धि ३५. एक तारे से दूसरे तारे का अन्तर ३६. ज्योतिष्क देवों की अग्रमहिषियाँ ३७. गाथाएँ - ग्रह ३८. देवों की काल-स्थिति ३९. नक्षत्रों के अधिष्ठातृ देवता ४०. नक्षत्रों का अल्पबहुत्व ४१. तीर्थंकरादि-संख्या ४२. जम्बूद्वीप का विस्तार ४३. जम्बूद्वीप : शाश्वत : अशाश्वत ४४. जम्बूद्वीप का स्वरूप ४५. जम्बूद्वीप नाम का कारण ४६. उपसंहार : समापन • ४७. परिशिष्ट : १. गाथाओं के अक्षरानुक्रमी संकेत २. स्थलानुक्रम ३. व्यक्तिनामनुक्रम ४०६ ४०८ ४०९ ४१० ४११ ४११ ४१४ ४१४ ४१५ ४१५ ४१६ [५९]
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy