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________________ ४१८ ] परिशिष्ट०१ गाथाओं के अक्षरानुक्रमी संकेत गाथांश अउणासीइ सहस्सा अच्छे अ सूरिआवत्ते अडयाली भए अणिआहिवाण पच्चत्थिमेणं अभिस्स चन्द - जोगो अभिई छच्च मुहू अभई सवणिट्ठा अभिनंदिए पट्टे अ अलंबुसा मिस्सकेसी अवसेसा णक्खत्ता, पण्णरस वि हुंति अवसेसा णक्खत्ता, पण्णरस वि सूरसहगया अहमंसि पढमराया अयं बहुगुणदा आइच्च-ते अ-तविआ आसपुरा सहपुरा अ इलादेवी सुरादेवी इह तस्स बहुगुणद्धे इंगालविल इंदमुद्धाभिसित्ते उत्तमा य सुणक्खत्ता उववाओ कप्पो आ उ सूत्रांक ९ एए णवणिहिरयाणा १३८ एए समाणिआणं १९९ एएसिं पल्लाणं १०७ एगं च सय - सहस्सं १८४ १३९ गाथांश १४७ ६० २०४ १८५ १९३ १९३ ओमज्जायण मंडव्वायणे १८४ ओसप्पिणी इमीसे १८५ १४७ १९३ १९३ .७९ ७५ १८५ १०५ काले कालपणा ए ओ गोसीसावलिकाहार गंधव्व-अग्गिवेसे चउरासीइ असीइ चट्ठी ट्टी ख चक्कट्ठपट्ठाणा चत्तारि सहस्साईं क खीलग दामणि एगावली खुज्जा चिलाइ वामणि खेमा खेमपुरा चेव खंडा जोअण वासा ख गणिअस्स य उप्पत्ती गोवल्लायण तेगिच्छायणे ग च [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र सूत्रांक ८२ १५१ २५ १५९ १९२ ७९ ८२ १९२ ५६ १२२ १५८ ८२ १९२ १९२ १८५ १५१ १५२ ८२ 3~
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
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