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________________ सप्तम वक्षस्कार ] [३६१ भगवन् ! द्वितीय बाह्य चन्द्र मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! द्वितीय बाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई १००५८७१ / ६१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से ६ भाग योजनांश एवं उसकी परिधि ३१८०८५ योजन बतलाई गई है। भगवन् ! तृतीय बाह्य चन्द्र मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! तृतीय बाह्य चन्द्र - मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई १००५१४१९ / योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योंजन के एक भाग के ७ भागों में से ५ भाग योजनांश एवं उसकी परिधि ३१७८५५ योजन बतलाई गई है। इस क्रम से प्रवेश करता हुआ चन्द्र पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ प्रत्येक मण्डल पर ७२५९/, योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से १ भाग योजनांश की विस्तारवृद्धि करता हुआ तथा २३० योजन परिधिवृद्धि कम करता हुआ सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है । चन्द्रमुहूर्तगति १८१. जया णं भंते ! चन्दे सव्वब्भन्तरमण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइअं खेत्तं गच्छइ ? गोयमा ! पंच जोअणसहस्साइं तेवत्तरि च जोअणाइं सत्तत्तरिं च चोआले भागसए गच्छइ, मण्डलं तेरसहिं सहस्सेहिं सत्तहि अ पणवीसेहिं सएहिं छेत्ता इति । तया णं इहगयस्स मणुसस्स सीआलीसाए जोणसहस्सेहिं दोहि अ तेवद्वेहिं जोअणएहिं एगवीसाए अ सट्टिभाएहिं जोअस्स चन्दे चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ । जया णं भंते ! चन्दे अब्भन्तराणन्तरं मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ (तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं) केवइअं खेत्तं गच्छइ ? गोयमा ! पंच जोअणसहस्साइं सत्तत्तरि च जोअणाई छत्तीसं च चोअत्तरे भागसए गच्छइ मण्डलं तेरसहिं सहस्सेहिं (सत्तहि अ पणवीसेहिं सएहिं ) छेत्ता । जया णं भंते ! चन्दे अब्धंतरतच्चं मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइअं खेत्तं गच्छइ ? गोयमा ! पंच जोअणसहस्साइं असीइं च जोअणाई तेरस य भागसहस्साइं तिण्णि अ गूणवीसे भागस गच्छइ, मण्डलं तेरसहिं (सहस्सेहिं सत्तहि अ पणवीसेहिं सएहिं ) छेत्ता इति । एवं खलु एएणं वाणं णिक्खममाणे चन्दे तयाणन्तराओ (मण्डलाओ तयाणन्तरं मण्डलं ) संकममाणे २ तिणि २ जोअणाई छण्णउई च पंचावण्णे भागसए एगमेगे मण्डले मुहुत्तगई
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
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