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________________ ३४४॥ [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र वहाँ से निष्क्रमण करता हुआ सूर्य नये संवत्सर में प्रथम अरोरात्र में दूसरे आभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। भगवन् ! जब सूर्य दूसरे आभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब दिन कितना बड़ा होता है, रात कितनी बड़ी होती है ? गौतम ! तब , मुहूर्तांश कम १८ मुहूर्त का दिन होता है, /, मुहूर्ताश अधिक १२ मुहूर्त की रात होती है। वहाँ से निष्क्रमण करता हुआ सूर्य दूसरे अहोरात्र में (दूसरे आभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर) गति करता है, तब दिन कितना बड़ा होता है, रात कितनी बड़ी होती है ? गौतम ! तब 7, मुहूर्तांश कम १८ मुहूर्त का दिन होता है, /, मुहूतांश अधिक १२ मुहूर्त की रात होती है। इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ, पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ सूर्य प्रत्येक मण्डल में दिवस-क्षेत्र-दिवस-परिमाण को २/, मुहुर्तांश कम करता हुआ तथा रात्रि-परिमाण को २/, मुहूतांश बढ़ाता हुआ सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मण्डल से सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब सर्वाभ्यन्तर, मण्डल का परित्याग कर १८३ अहोरात्र में दिवस-क्षेत्र में ३६६ संख्या-परिमित / मुहूर्ताश कम कर तथा रात्रि-क्षेत्र में इतने ही मुहूर्तांश बढ़ाकर गति करता है। भगवन् ! जब सूर्य सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब दिन कितना बड़ा होता है, रात कितनी बड़ी होती है ? गौतम ! जब रात उत्तमावस्थाप्राप्त, उत्कृष्ट अधिक से अधिक १८ मुहूर्त की होती है, दिन जघन्यकम से कम १२ मुहूर्त का होता है। ये प्रथम छ: मास हैं। यह प्रथम छ: मास का पर्यवसान है-समापन है। वहाँ से प्रवेश करता हुआ सूर्य दूसरे छः मास के प्रथम अहोरात्र में दूसरे बाह्य मण्डल को उपसंक्रान्त कर गति करता है। ___भगवन् ! जब सूर्य दूसरे बाह्य मण्डल को उपसंक्रान्त कर गति करता है, तब दिन कितना बड़ा होता है। रात कितनी बड़ी होती है ? गौतम ! तब २/, मुहूर्तांश कम १८ मुहूर्त की रात होती है, २, मुहूर्तांश अधिक १२ मुहूर्त का दिन होता है। वहाँ से प्रवेश करता हुआ सूर्य दूसरे अहोरात्र में तीसरे बाह्य मण्डल को उपसंक्रान्त कर गति करता है। भगवन् ! जब सूर्य तीसरे बाह्य मण्डल को उपसंक्रान्त कर गति करता है, तब दिन कितना बड़ा होता है. गत कितनी बड़ी होती है ?
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
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