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________________ ३३८] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र विक्खंभवुद्धिं अभिवद्धेमाणे २ अट्ठारस २ जोअणाइं परिरयबुद्धिं अभिवद्धमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चारइ। सव्वबाहिरए णं भंते ! सूरमंडले केवइअंआयामविक्खंभेणं केवइअंपरिक्खेवेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! एगं जोयणसयसहस्सं छच्च सटे जोअणसए आयामविक्खंभेणं तिण्णि अ जोअणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साई तिण्णि अ पण्णरसुत्तरे जोअणसए परिक्खेवेणं। बाहिराणंतरेणं भंते ! सूरमंडले केवइअंआयामविक्खंभेणं केवइअंपरिक्खेवेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! एगं जोअणसयसहस्सं छच्च चउपण्णे जोअणसए छव्वीसं च एगसट्ठिभागे जोअणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि अ जोअणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साइं दोण्णि य सत्ताणउए जोअणसए परिक्खेवेणंति। बाहिरतच्चेणं भंते ! सूरमंडले केवइअंआयामविक्खंभेणं केवइअंपरिक्खेवेणं पण्णते? गोयमा ! एगं जोअणसयसहस्सं छच्च अडयाले जोअणसए बावण्णं च एगसट्ठिभाए जोअणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोअणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साइं दोण्णि अ अउणासीए जोअणसए परिक्खेवेणं। एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयणंतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ पंच जोअणाइं पणतीसं च एगसट्ठिभाए जोअणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुद्धिं णिवुड्डेमाणे २ अट्ठारस २ जोअणाई परिरयबुद्धिं णिव्वुड्डेमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ ६। [१६५] भगवन् ! जम्बूद्वीप में सर्वाभ्यन्तर सूर्य-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! उसकी लम्बाई-चौड़ाई ९९६४० योजन तथा परिधि कुछ अधिक ३१५०८९ योजन बतलाई गई है। भगवन् ! द्वितीय आभ्यन्तर सूर्य-मण्डल की लम्बाई चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! द्वितीय आभ्यन्तर सूर्य-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई ९९६४५३५), योजन तथा परिधिं ३१५१०७ योजन बतलाई गई है। भगवन् ! तृतीय आभ्यन्तर सूर्य-मण्डल की लम्बाई चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? ___गौतम ! तृतीय आभ्यन्तर सूर्य-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई ९९६५१६, योजन तथा परिधि ३१५१२५ योजन बतलाई गई है। यों उक्त क्रम से निष्क्रमण करता हुआ सूर्य पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल पर उपसंक्रान्त होता हुआपहुँचता हुआ-एक-एक मण्डल पर ५३५), योजन की विस्तार-वृद्धि करता हुआ तथा अठारह योजन की परिक्षेप-वद्धि करता हुआ-परिधि बढ़ाता हुआ सर्वबाह्य मण्डल पर पहुंचकर आगे गति करता है।
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
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