________________
प्रकाशकीय
आगम प्रेमी पाठकों के स्वाध्याय एवं आगम साहित्य प्रचार-प्रसार के लिए जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र का यह तृतीय संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है।
ग्रन्थ के नाम अनुसार इसमें हम-आप जैसे मनुष्यों के वासस्थान जम्बूद्वीप, लवणसमुद्र आदि द्वीप-समुद्रों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त मध्यलोक के अंगभूत ज्योतिष्क चक्र का भी जैन दृष्टि से निरूपण किया है। इस प्रकार ग्रन्थ का मुख्य वर्ण्य विषय भूगोल-खगोल से सम्बन्धित है। जिसका अनुयोग वर्गीकरण की अपेक्षा से गणितानुयोग में समावेश किया जा सकता है। साथ ही इस अवसर्पिणी काल के प्रथम धर्मचक्रवर्ती भगवान् ऋषभदेव और समस्त भरत क्षेत्र के अधिपति भरत के जीवनवृत्त का वर्णन होने से इसका कुछ भाग धर्मकथानुयोग का भी अंश है।
इस प्रकार से यह ग्रन्थ भूगोलवेत्ताओं और सामान्य पाठकों के लिए समान रूप से संग्रहणीय तथा पठनीय
इस सूत्र का अनुवाद संपादन आदि श्री डॉ. छगनलालजी शास्त्री ने किया है। उन्होंने ग्रन्थ के विषय को सरल हिन्दी भाषा में स्पष्ट करके समान्य पाठकों के लिए बोधगम्य बना दिया है।
अन्त में यह निवेदन करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि धीमंतों श्रीमंतों के सहयोग से हमें श्रुतसेवा का सुअवसर प्राप्त हुआ है, इसके लिए उन सभी का सधन्यवाद आभार मानते हैं।
सागरमल बैताला
ज्ञानचंद विनायकिया
भवदीय रतनचंद मोदी सरदारमल चोरडिया कार्यवाहक अध्यक्ष महामंत्री
श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर
अध्यक्ष
मंत्री
[७]