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[प्रज्ञापनासूत्र] [२००९-१ प्र.] भगवन्! असुरकुमारों का अवधि (ज्ञान) किस प्रकार का बताया गया है? [२००९-१ उ.] गौतम! वह पल्लक के आकार का बताया गया है। [२] एवं जाव थणियकुमाराणं।
[२००९-२ ] इसी प्रकार (नागकुमारों से लेकर) स्तनितकुमारों तक के अवधि-संस्थान के विषय में जानना चाहिए।
२०१०. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। . गोयमा! णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते। [२०१० प्र.] भगवन् ! पंचेन्द्रियतिर्यंचों का अवधि (ज्ञान) किस आकार का कहा गया है ? [२०१० उ.] गौतम! नाना आकारों वाला कहा गया है। २०११. एवं मणूसाण वि। [२०११] इसी प्रकार मनुष्यों के अवधि-संस्थान के विषय में जानना चाहिए। २११२. वाणमंतराणं पुच्छा। गोयमा! पडहसंठाणसंठिए पण्णत्ते। [२०१२ प्र.] भगवन् ! वाणव्यन्तर देवों का अवधिज्ञान किस आकार का कहा गया है? [२०१२ उ.] गौतम! वह पटह के आकार का कहा गया है। २११३. जोतिसियाणं पुच्छा। गोयमा! झल्लरिसंठाणसंठिए पण्णत्ते। [२०१३ प्र.] ज्योतिष्कदेवों के अवधिसंस्थान के विषय में पूर्ववत् प्रश्न है। [२०१३ उ.] गौतम! वह झालर के आकार का कहा गया है। २०१४ [१] सोहम्मगदेवाणं पुच्छा। गोयमा! उड्ढमुइंगागारसंठिए पण्णत्ते। [२०१४-१ प्र.] भगवन् ! सौधर्मदेवों के अवधि-संस्थान के विषय में पूर्ववत् पृच्छा है। [२०१४-१ उ.] गौतम! वह ऊर्ध्व-मृदंग के आकार का कहा है। [२] एवं जाव अच्चुयदेवाणं पुच्छा।
[२०१४-२] इसी प्रकार यावत् अच्युतदेवों तक के अवधिज्ञान के आकार के विषय में प्रश्नोत्तर समझना चाहिए।
२०१५. गेवेजगदेवाणं पुच्छा।