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________________ १८८] [प्रज्ञापनासूत्र] [२००९-१ प्र.] भगवन्! असुरकुमारों का अवधि (ज्ञान) किस प्रकार का बताया गया है? [२००९-१ उ.] गौतम! वह पल्लक के आकार का बताया गया है। [२] एवं जाव थणियकुमाराणं। [२००९-२ ] इसी प्रकार (नागकुमारों से लेकर) स्तनितकुमारों तक के अवधि-संस्थान के विषय में जानना चाहिए। २०१०. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। . गोयमा! णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते। [२०१० प्र.] भगवन् ! पंचेन्द्रियतिर्यंचों का अवधि (ज्ञान) किस आकार का कहा गया है ? [२०१० उ.] गौतम! नाना आकारों वाला कहा गया है। २०११. एवं मणूसाण वि। [२०११] इसी प्रकार मनुष्यों के अवधि-संस्थान के विषय में जानना चाहिए। २११२. वाणमंतराणं पुच्छा। गोयमा! पडहसंठाणसंठिए पण्णत्ते। [२०१२ प्र.] भगवन् ! वाणव्यन्तर देवों का अवधिज्ञान किस आकार का कहा गया है? [२०१२ उ.] गौतम! वह पटह के आकार का कहा गया है। २११३. जोतिसियाणं पुच्छा। गोयमा! झल्लरिसंठाणसंठिए पण्णत्ते। [२०१३ प्र.] ज्योतिष्कदेवों के अवधिसंस्थान के विषय में पूर्ववत् प्रश्न है। [२०१३ उ.] गौतम! वह झालर के आकार का कहा गया है। २०१४ [१] सोहम्मगदेवाणं पुच्छा। गोयमा! उड्ढमुइंगागारसंठिए पण्णत्ते। [२०१४-१ प्र.] भगवन् ! सौधर्मदेवों के अवधि-संस्थान के विषय में पूर्ववत् पृच्छा है। [२०१४-१ उ.] गौतम! वह ऊर्ध्व-मृदंग के आकार का कहा है। [२] एवं जाव अच्चुयदेवाणं पुच्छा। [२०१४-२] इसी प्रकार यावत् अच्युतदेवों तक के अवधिज्ञान के आकार के विषय में प्रश्नोत्तर समझना चाहिए। २०१५. गेवेजगदेवाणं पुच्छा।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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