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________________ ९२ ] [प्रज्ञापनासूत्र [८८३ प्र.] वह (पूर्वोक्त) प्रतरभेद क्या है ? [८८३ उ.] प्रतरभेद (वह है), जो बांसों का, बेंतों का, नलों का, केले के स्तम्भों का, अभ्रक के पटलों (परतों) का प्रतर से (भोजपत्रादि की तरह) भेद करने पर होता है। यह है वह प्रतरभेद । ८८४. से किं तं चुणियाभेए ? २. जण्णं तिलचुण्णाण वा मुग्गचुण्णाण वा मासचुण्णाण वा पिप्पलिचुण्णाण वा मिरियचुण्णाण वा सिंगबेरचुण्णाण वा चुणियाए भेदे भवति । से त्तं चुणियाभेदे । [८८४ प्र.] वह (पूर्वोक्त) चूर्णिकाभेद क्या है ? [८८४ उ.] चूर्णिकाभेद (वह है), जो (जैसे) तिल के चूर्णों (चूरों) का, मूंग के चूर्णों (चूरे या आटे) का उड़द के चूर्णों (चूरों) का, पिप्पली (पीपल) के चूरों का, कालीमिर्च के चूरों का, चूर्णिका (इमामदस्ते या चक्की आदि) से भेद करने (कूटने या पीसने) पर होता है। यह हुआ उक्त चूर्णिका भेद का स्वरूप । ८८५. से किं तं अणुतडियाभेदे ? २. जण्णं अगडाण वा तलागाण वा दहाण वा णदीण वा वावीण वा पुक्खरिणीण वा दीहियाण वा गुंजालियाण वा सराण वा सरपंतियाण वा सरसरपंतियाण वा अणुतडियाए भेदे भवति। सेत्तं अणुतडियाभेदे। [८८५ प्र.] वह अनुतटिकाभेद क्या है (कैसा है)?" . [८८५ उ.] अनुतटिकाभेद (वह है,) जो कूपों के, तालाबों के, हृदों के, नदियों के, बावड़ियों के, पुष्करिणियों (गोलाकार बावड़ियों) के, दीर्घिकाओं (लम्बी बावड़ियों) के, गुंजालिकाओं टेढ़ीमेढ़ी बावड़ियों के, सरोवरों के, पंक्तिबद्ध सरोवरों के और नाली के द्वारा जल का संचार होने वाले पंक्तिबद्ध सरोवरों के अनुतटिकारूप में (फट जाने, दरार पड़ जाने या किनारे घिस या कट जाने से) भेद होता है। यह अनुतटिका भेद का स्वरूप है। ८८६. से किं तं उक्करियाभेदे ? २.जण्णं मूसंगाण वा मगूसाण वा तिलसिंगाण वा मुग्गसिंगाण वा माससिंगाण वा एरंडबीयाण वा फुडित्ता उक्करियाए भेदे भवति । सेत्तं उक्करियाभेए। [८८६ प्र.] वह (पूर्वोक्त) उत्कटिकाभेद कैसा होता है ? [८८६ उ.] मूषों-मसूर के, मगूसों (मूंगफलियों या चौलाई की फलियों) के, तिल की फलियों के, मूंग की फलियों के, उड़द की फलियों के अथवा एरण्ड के बीजों के फटने या फाड़ने से जो भेद होता है, वह
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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