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________________ १८१ १९६ - १९७ १८८ २०२ २१५ २१५ २२५ १८८-१९४ समस्त वाणव्यन्तर देवों के स्थानों की प्ररूपणा १७४ १९५ ज्योतिष्क देवों के स्थानों की प्ररूपणा सर्व वैमानिक देवों के स्थानों की प्ररूपणा १८४ सौधर्मकल्पगत देवों के स्थान की प्ररूपणा १८६ १९८ ईशानकल्पवासी देवों के स्थान की प्ररूपणा १९९-२०६ सनत्कुमार आदि आरण-अच्युतकल्पवासी देवों के स्थानों की प्ररूपणा १८९ २०७-२०९ ग्रैवेयकवासी देवों के स्थानों की प्ररूपणा १९८ २१० अनुत्तरौपपातिक देवों के स्थानों की प्ररूपणा २०० कल्पों के अवतंसकों का रेखाचित्र २०२ २११ सिद्धस्थान का वर्णन तृतीय बहुवक्तव्यता (अल्प-बहुत्व) पद प्राथमिक २१२ दिशादि २७ द्वारों के नाम २१३-२२४ दिशा की अपेक्षा से जीवों का अल्प-बहुत्व २२५-२२६ पाँच या आठ गतियों की अपेक्षा से जीवों का अल्प-बहुत्व २२७-२३१ इन्द्रियों की अपेक्षा से जीवों का अल्प-बहुत्व २२७ २३२-२३६ काय की अपेक्षा से सकायिक, अकायिक एवं षट्कायिक जीवों का अल्प-बहुत्व२३२ २३७-२५१ सूक्ष्म-बादर काय का अल्प-बहुत्व २३७ २५२ योगों की अपेक्षा से जीवों का अल्प-बहुत्व २५६ २५३ वेदों की अपेक्षा से जीवों का अल्प-बहुत्व २५७ २५४ कषायों की अपेक्षा से जीवों का अल्प-बहुत्व २५८ लेश्या की अपेक्षा जीवों का अल्प-बहुत्व २५६ तीन दृष्टियों की अपेक्षा जीवों का अल्प-बहुत्व २५७-२५९ ज्ञान और अज्ञान की अपेक्षा जीवों का अल्प-बहुत्व २६१ दर्शन की अपेक्षा जीवों का अल्प-बहुत्व २६१ संयत आदि की अपेक्षा जीवों का अल्प-बहुत्व २६३ २६२ उपयोगद्वार की दृष्टि से जीवों का अल्प-बहुत्व २६४ २६३ आहारक-अनाहरक जीवों का अल्प-बहुत्व २६५ २६४ भाषा की अपेक्षा जीवों का अल्प-बहुत्व २६५ २६५ परित्त आदि की दृष्टि से जीवों का अल्प-बहुत्व पर्याप्ति की अपेक्षा जीवों का अल्प-बहुत्व २६७ २६७ सूक्ष्म आदि की दृष्टि से जीवों का अल्प-बहुत्व २६७ २५५ २५९ २६० २६० २६३ २६६ २६६ [९४]
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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