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[प्रज्ञापना सूत्र __द्रव्यों का कथन या पर्याय का ?—पर्यायों की प्ररूपणा के प्रसंग में यहाँ पर्यायों का कथन करना उचित था, उसके बदले द्रव्यों का कथन इसलिए किया गया है कि पर्याय और पर्यायी (द्रव्य) कथंचित् अभिन्न हैं, इस बात की प्रतीति हो। वस्तुतः धर्मास्तिकाय, धर्मास्तिकायदेश आदि पदों के उल्लेख से उन-उन धर्मास्तिकायदि त्रिकों तथा अद्धासमय के पर्याय ही विवक्षित हैं, द्रव्य नहीं। परमाणुपुद्गल आदि की पर्याय-सम्बन्धी वक्तव्यता
५०४. परमाणुपोग्गलाणं भंते! केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा! परमाणुपोग्गलाणं अणंता पन्जवा पण्णत्ता। से केणढेणं भंते! एवं वुच्चति परमाणुपोग्गलाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ?
गोयमा! परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्ययाते तुल्ले, पदेसठ्ठयाते तुल्ले, ओगाहणट्ठयाते तुल्ले; ठितीए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिते-जति हीणे असंखेज्जतिभागहीणे वा संखेज्जतिभागहीणे वा संखेजतिगुणहीणे वा असंखेन्जतिगुणहीणे वा, अह अब्भहिए असंखेजतिभागअब्भहिए वा संखेजतिभागमब्भहिए वा संखेन्जगुणअब्भहिए वा असंखेगुणअब्भहिते वा; कालवण्णपज्जवेहिं सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए—जति हीणे अणंतभागहीणे वा असंखेज्जतिभागहीणे वा संखेज्जभागहीणे वा संखेजगुणहीणे वा असंखेज्जगणहीणे वा अणंतगुणहीणे वा, अह अब्भहिए अणंतभागमब्भहिते वा असंखेज्जतिभागमब्भहिए वा संखेज्जभागमब्भहि ते वा संखेज्जगुणमब्भहिए वा असंखेज्जगुणमब्भहिए वा अणंतगुणमब्भहिए वा; एवं अवसेस वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहि छट्ठाणवडिते, फासा णं सीय-उसिण-निद्ध-लुक्खेहिं छट्ठाणवडिते, से तेणट्टेणं गोयमा! एवं वुच्चति परमाणुपोग्गलाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता।
[५०४ प्र.] भगवन्! परमाणुपुद्गलों के कितने पर्याय कहे गए हैं ? [५०४ उ.] गौतम! परमाणुपुद्गलों के अनन्त पर्याय कहे हैं। [प्र.] भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि परमाणुपुद्गलों के अनन्त पर्याय हैं ?
[उ.] गौतम! एक परमाणुपुद्गल, दूसरे परमाणुपुद्गल से द्रव्य की अपेक्षा से तुल्य है, प्रदेशों की अपेक्षा से तुल्य है; अवगाहना की दृष्टि से (भी) तुल्य है, (किन्तु) स्थिति की अपेक्षा से कदाचित् हीन है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अभ्यधिक है। यदि हीन है, तो असंख्यातभाग हीन है, संख्यातभाग हीन है अथवा संख्यातगुण हीन है, अथवा असंख्यातगुण हीन है, यदि अधिक है, तो असंख्यातभाग अधिक है, अथवा संख्यातभाग अधिक है, या संख्यातगुण अधिक है, अथवा असंख्यातगुण अधिक है। कृष्णवर्ण के पर्यायों की अपेक्षा से कदाचित् हीन है, कदाचित् तुल्य है, और कदाचित् अधिक है। यदि
१. वही, मलय. वृत्ति, पत्रांक २०२