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चतुर्थ स्थितिपद ]
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[ ४२५-३ प्र.] भगवन्! आरणकल्प में पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही है? [४२५-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम वीस सागरोपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम इक्कीस सागरोपम की है ।
४२६. [ १ ] अच्चुए कप्पे देवाणं पुच्छा ।
गोमा ! जहणेणं एक्कवीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई ।
[४२६-१ प्र.] भगवन्! अच्युतकल्प में देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [४२६-१ उ.] गौतम! जघन्य इक्कीस सागरोपम की और उत्कृष्ट बाईस सागरोपम की है । [ ३ ] अच्चुए अपज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।
[४२६-२ प्र.] भगवन्! अच्युतकल्प में अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ?
[४२६-२ उ.] गौतम! जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त की है।
[ ३ ] अच्चुते पज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं एक्कवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई ।
[४२६-३ प्र.] भगवन्! अच्युतकल्प में पर्याप्तकदेवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई
है ?
[४२६-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम इक्कीस सागरोपम की तथा उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम बाईस सागरोपम की है ।
४२७. [ १ ] हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जदेवाणं पुच्छा ।
गोयमा ! जहणेणं बावीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं तेवीसं सागरोवमाई ।
[४२७-१ प्र.] भगवन् ! अधस्तन - अधस्तन ( सबसे निचले ग्रैवेयकत्रिक में नीचे वाले) ग्रैवेयक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ?
[४२७-१ उ.] गौतम! ( सबसे निचली ग्रैवेयकत्रिक के नीचे के देवों की स्थिति) जघन्य बाईस सागरोपम की और उत्कृष्ट तेईस सागरोपम की है।
है ?
[ २ ] हेट्ठिमहेट्ठिमअपज्जत्तदेवाणं पुच्छा । गोयमा! जहणणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।
[४२७-२ प्र.] भगवन् ! अधस्तन- अधस्तन ग्रैवेयक के अपर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल की