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________________ चतुर्थ स्थितिपद ] [ ३६५ [ ४२५-३ प्र.] भगवन्! आरणकल्प में पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही है? [४२५-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम वीस सागरोपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम इक्कीस सागरोपम की है । ४२६. [ १ ] अच्चुए कप्पे देवाणं पुच्छा । गोमा ! जहणेणं एक्कवीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई । [४२६-१ प्र.] भगवन्! अच्युतकल्प में देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [४२६-१ उ.] गौतम! जघन्य इक्कीस सागरोपम की और उत्कृष्ट बाईस सागरोपम की है । [ ३ ] अच्चुए अपज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं । [४२६-२ प्र.] भगवन्! अच्युतकल्प में अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [४२६-२ उ.] गौतम! जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त की है। [ ३ ] अच्चुते पज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं एक्कवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई । [४२६-३ प्र.] भगवन्! अच्युतकल्प में पर्याप्तकदेवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [४२६-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम इक्कीस सागरोपम की तथा उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम बाईस सागरोपम की है । ४२७. [ १ ] हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं बावीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं तेवीसं सागरोवमाई । [४२७-१ प्र.] भगवन् ! अधस्तन - अधस्तन ( सबसे निचले ग्रैवेयकत्रिक में नीचे वाले) ग्रैवेयक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [४२७-१ उ.] गौतम! ( सबसे निचली ग्रैवेयकत्रिक के नीचे के देवों की स्थिति) जघन्य बाईस सागरोपम की और उत्कृष्ट तेईस सागरोपम की है। है ? [ २ ] हेट्ठिमहेट्ठिमअपज्जत्तदेवाणं पुच्छा । गोयमा! जहणणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं । [४२७-२ प्र.] भगवन् ! अधस्तन- अधस्तन ग्रैवेयक के अपर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल की
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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