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________________ ३५६] [प्रज्ञापना सूत्र गोयमा! जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाई अंतोमुहुत्तूणाई। [४०८-३ प्र.] भगवन्! पर्याप्त वैमानिक देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४०८-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्यापम की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचपन पल्योपमों की है। ४०९. [१] सोहम्मे णं भंते! कप्पे देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं पलिओवमं, उक्कोसेणं दो सागरावमाइं। [४०९-१ प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प (देवलोक) में, देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [४०९-१ उ.] गौतम! जघन्य एक पल्योपम की है और उत्कृष्ट दो सागरोपम की है। [२] सोहम्मे कप्पे अपज्जत्तदेवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। [४०९-२ प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४०९-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] सोहम्मे कप्पे पज्जत्तयाणं देवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहत्तूणं, उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई। [४०९-३ प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है? [४०९-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम दो सागरोपम की है। ४१०. [१] सोहम्मे कप्पे देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं पलिओवमं, उक्कोसेण पण्णासं पलिओवमाइं। [४१०-१ प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [४१०-१ उ.] गौतम! जघन्य एक पल्योपम की है और उत्कृष्ट पचास पल्यापमों की है। [२] सोहम्मे कप्पे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेणं वि अंतोमहत्तं। [४१०-२ प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में अपर्याप्तक देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [४१०-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। १. ग्रन्थाग्रम् २५००
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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