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________________ चतुर्थ स्थितिपद] [३६९-१ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट बारह वर्ष की है। [२] अपज्जत्तबेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं । [३६९-२ प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त द्वीन्द्रिय जीवों की कितने काल तक की स्थिति कही गई है? [३६९-२ उ.] गौतम! (उनकी स्थिति) जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] पज्जत्तबेइंदियाणं पुच्छा । गोयमा! जहणणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बारस संवच्छराइं अंतोमुत्तूणाई। [३६९-३ प्र.] भगवन् ! पर्याप्त द्वीन्द्रिय जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [३६९-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम बारह वर्ष की है। त्रीन्द्रिय जीवों की स्थिति-प्ररूपणा ३७०. [१] तेइंदियाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहणणेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं एगूणवण्णं रातिंदियाइं । [३७०-१ प्र.] भगवन् ! त्रीन्द्रिय जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [३७०-१ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट उनपचास रात्रि दिन की है। [२] अपज्जत्ततेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा! जहणणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। [३७०-२ प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त त्रीन्द्रिय जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [३७०-२ उ.] गौतम! (उनकी) जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है। [३] पज्जत्ततेइंदियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं एगूणवण्णं रातिंदियाइं अंतोमुहत्तूणाई। [३७०-३ प्र.] भगवन् ! पर्याप्तक त्रीन्द्रिय जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है? [३७०-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम उनपचास रात्रि-दिन की है। चतुरिन्द्रिय जीवों की स्थिति-प्ररूपणा ३७१. [१] चरिंदियाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं छम्मासा। [३७१-१ प्र.] भगवन् ! चतुरिन्द्रिय जीवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [३७१-१ उ.] गौतम! इनकी जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति छह मास की है।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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