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________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद ] दक्षिण में विशेषाधिक हैं, ८. ( और उनकी अपेक्षा भी) उत्तर में विशेषाधिक हैं। ३३०. एतेसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं संखेज्जपदेसियाणं असंखेज्जपदेसियाणं अणतपदेसियाण य दखंधाणं दव्वट्टयाए पदेसट्टयाए दव्वट्टपदेसट्टताए कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? [ ३०१ गोयमा! सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा दव्वट्टयाए १, परमाणुपोग्गला दव्वट्टताए अनंतगुणा २, संखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा ३, असंखेज्जपएसिया खंधा दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा ४; पदेसट्टायाए – सव्वत्थोवा अणतपदेसिया खंधा पएसट्टयाए १, परमाणुपोग्गला अपदेसट्टयाए अनंतगुणा २, संखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा ३, असंखेज्जपदेसिया खंधा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा ४; दव्वट्टपदेसट्टयाए – सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा दव्वट्टयाए १, ते चेव पदेसट्टयाए अनंतगुणा २, परमाणुपोग्गला दव्वट्ठ अपदेसट्टयाए अनंतगुणा ३, संखेज्जपएसिया खंधा दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा ४, ते चेव पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा ५, असंखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा ६, ते चेव पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा ७ । [३३० प्र.] भगवन्! इन १. परमाणुपुद्गलों तथा २. संख्यातप्रदेशिक, ३. असंख्यातप्रदेशिक और ४. अनन्तप्रदेशिक स्कन्धों में से द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से, और द्रव्य एवं प्रदेशों की अपेक्षा से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [३३० उ. ] गौतम! १. सबसे थोड़े द्रव्य की अपेक्षा से अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध हैं, २. ( उनकी अपेक्षा) परमाणुपुद्गल द्रव्य की अपेक्षा से अनन्तगुणे हैं, ३. ( उनकी अपेक्षा ) संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा से संख्यातगुणे हैं, ४. ( उनकी अपेक्षा) असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं। प्रदेशों की अपेक्षा से अल्पबहुत्व - १. सबसे कम अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध प्रदेशापेक्षा हैं, २. (उनकी अपेक्षा) परमाणुपुद्गल अप्रदेशों से अनन्तगुणे हैं, ३. ( उनकी अपेक्षा ) संख्यातप्रदेशी स्कन्ध प्रदेशों की अपेक्षा से संख्यातगुणे हैं, ४ ( उनकी अपेक्षा) असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध प्रदेशों की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। द्रव्य एवं प्रदेशों की अपेक्षा से अल्पबहुत्व - १. सबसे अल्प, द्रव्य की अपेक्षा से अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध हैं, २. ( उनकी अपेक्षा) वे (अनन्तप्रदेशी स्कन्ध) ही प्रदेशों की अपेक्षा से अनन्तगुणे हैं, ३. (उनकी अपेक्षा) परमाणुपुद्गल, द्रव्य एवं अप्रदेश की अपेक्षा से अनन्तगुणे हैं, ४. (उनकी अपेक्षा) संख्यातप्रदेशों स्कन्ध, द्रव्य की अपेक्षा से संख्यातगुणे हैं, ५. ( उनकी अपेक्षा) वे (संख्यातप्रदेशी स्कन्ध) ही प्रदेशों की अपेक्षा से संख्यातगुणे हैं, ६. ( उनसे) असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं, ७. वे (असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध) प्रदेशों की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं। ३३१. एतेसि णं भंते! एगपदेसोगाढाणं संखेज्जपएसोगाढाणं असंखेज्जपएसोगाढाण य पोग्गलाणं दव्वट्टयाए पदेसट्टयाए दव्वट्ठपदेसट्टताए कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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