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________________ २४२] [प्रज्ञापना सूत्र २४४. एतेसि णं भंते! बादरपज्जत्तयाणं बादरपुढविकाइयपज्जत्तयाणं बादरआउकाइयपज्जत्तयाणं बादरतेउकाइयपज्जत्तयाणं बादरवाउकाइयपज्जत्तयाणं बादरवणप्फाइकाइयपज्जत्तयाणं पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइयपज्जत्तयाणं बादरनिगोदपज्जत्तयाणं बादरवणप्फकाइयपज्जत्तयाणं पत्तेयसरीबादरवणप्फइकाइयपज्जत्तयाणं बादरनिगोदपज्जत्तयाणं बादरतसकाइयपज्जत्तयाण य कतरे कतरेहितो अप्या वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतेउक्काइया पन्जत्तया १, बादरतसकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा २, पत्तेयसरीरबायरवणप्फइकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ३, बायरनिगोदा पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ४, बादरपुढविकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ५, बादरआउकाइया पज्जत्तगा असंखिज्जगुणा ६, बादरवाउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा ७, बादरवणप्फइकाइया पज्जत्तया अणंतगुणा ८, बायरपज्जत्तया विसेसाहिया ९। [२४४ प्र.] भगवन् ! इन बादर पर्याप्तकों, बादर पृथ्वीकायिक-पर्याप्तकों, बादर अप्कायिक-पर्याप्तकों, बादर तेजस्कायिक-पर्याप्तकों, बादर वायुकायिक-पर्याप्तकों, बादर वनस्पतिकायिक-पर्याप्तकों, प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक-पर्याप्तकों, बादर निगोद-पर्याप्तकों एवं बादर त्रसकायिक-पर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? __ [२४४ उ.] गौतम! १. सबसे कम बादर तेजस्कायिक पर्याप्तक हैं, २. (उनसे) बादर त्रसकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) बादर पृथ्वीकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) बादर पृथ्वीकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) बादर अप्कायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ७. (उनसे) बादर वायुकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ८. (उनसे) बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तक अनन्तगुणे हैं और (उनसे भी) ९. बादर पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं। २४५. [१] एतेसि णं भंते! बादराणं पज्जत्ताऽपज्जताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरा पज्जत्तगा, बायरा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा । [२४५-१ प्र.] भगवन् ! इन बादर पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [२४५-१ उ.] गौतम! सबसे अल्प बादर पर्याप्तक जीव हैं, (उनसे) बादर अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। [२] एतेसि णं भंते! बादरपुढविकाइयाणं पन्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरपुढविकाइया पज्जत्तगा, बादरपुढविकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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