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________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद] [२४१ ___ गोयमा! सव्वत्थोवा बादरा तसकाइया १, बादरा तेउकाइया असंखेज्जगुणा २, पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइया असंखेज्जगुणा ३, बादरा निगोदा असंखेज्जगुणा ४, बादरा पुढविकाइया असंखेज्जगुणा ५, बादरा आउकाइया असंखेज्जगुणा ६, बादरा वाउकाइया असंखेज्जगुणा ७, बादरा वणप्फइकाइया अणंतगुणा ८, बादरा विसेसाहिया ९। [२४२ प्र.] भगवन् ! इन बादर जीवों, बादर पृथ्वीकायिकों, बादर अप्कायिकों, बादर तेजस्कायिकों, बादर वायुकायिकों, बादर वनस्पतिकायिकों, प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिकों, बादर निगोदों और बादर त्रसकायिकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? __ [२४२ उ.] गौतम! १. सबसे थोड़े बादर त्रसकायिक हैं, २. (उनसे) बादर, तेजस्कायिक असंख्येयगुणे हैं, ३. (उनसे) प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक असंख्येयगुणे हैं, ४. (उनसे) बादर निगोद असंख्येयगुणे हैं, ५. (उनसे) बादर पृथ्वीकायिक असंख्येयगुणे हैं, ६. (उनसे) बादर अप्कायिक असंख्येयगुणे हैं, ७. (उनसे) बादर वायुकायिक, असंख्येयगुणे हैं, ८. (उनसे) बादर वनस्पतिकायिक अनन्तगुणे हैं, और ९. (उनसे भी) बादर जीव विशेषाधिक हैं। २४३. एतेसि णं भंते! बादरअपज्जत्तगाणं बादरपुढविकाइयअपज्जत्तगाणं बादरआउकाइयअपज्जत्तगाणं बादरतेउकाइयअपज्जत्तगाणं बादरवाउकाइयअपज्जत्तगाणं बादरवणप्फइकाइयअपज्जत्तगाणं पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइयअपज्जत्तगाणं बादरनिगोदापज्जत्तगाणं बादर तसकाइयापज्जत्ताण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया अपज्जत्तगा १, बादरतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेन्जगुणा २, पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा ३, बादरनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ४, बादरपुढविकाइयाअपज्जत्तगा असंखेजगुणा ५, बादरआउकाइया, अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ६, बादरवाउकाइयाअपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ७, बादरवणप्फइकाइया, अपज्जत्तगा अणंतगुणा ८, बादरअपज्जत्तगा विसेसाहिया ९। [२४३ प्र.] भगवन् ! इन बादर अपर्याप्तकों, बादर पृथ्वीकायिक-अपर्याप्तकों, बादर अप्कायिकअपर्याप्तकों, बादर तेजस्कायिक-अपर्याप्तकों, बादर वायुकायिक-अपर्याप्तकों, बादर वनस्पतिकायिकअपर्याप्तकों, प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक-अपर्याप्तकों, बादर निगोद-अपर्याप्तकों एवं बादर त्रसकायिक-अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? __ [२४३ उ.] गौतम! १. सबसे कम बादर त्रसकायिक अपर्याप्तक हैं, २. (उनसे) बादर तेजस्कायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) बादर निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) बादर पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) बादर अप्कायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ७. (उनसे) बादर वायुकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ८. (उनसे) बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक अनन्तगुणे हैं और ९. (उनसे भी) बादर अपर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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