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[ प्रज्ञापना सूत्र
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के भवन और नरकावास कम हैं। अतः वहाँ सघन स्थान अधिक है। पूर्वदिशा में चन्द्र-र - सूर्यद्वीप होने से पृथ्वीकायिक जीव विशेषाधिक हैं। इसकी अपेक्षा भी पश्चिम में पृथ्वीकायिकजीव विशेषाधिक हैं क्योंकि वहाँ चन्द्र-सूर्यद्वीप के अतिरिक्त लवणसमुद्रीय गौतमद्वीप भी है।
(२) अप्कायिकों का अल्पबहुत्व - पश्चिम में वे सब से कम हैं, क्योंकि पश्चिम में गौतमद्वीप होने के कारण जल कम है। पूर्व में गौतमद्वीप नहीं होने से अष्कायिक विशेषाधिक हैं, दक्षिण में चन्द्रसूर्यद्वीप न होने से अकायिक विशेषाधिक हैं और उत्तर में मानससरोवर होने से जल की प्रचुरता है, इसलिए वहाँ अप्कायिक विशेषाधिक हैं ।
(३) तेजस्कायिकों का अल्पबहुत्व — दक्षिण और उत्तर दिशा में अग्निकायिक जीव सबसे कम इसलिए हैं कि मनुष्यक्षेत्र में ही बादर तेजस्कायिक जीवों का अस्तित्व होता है, अन्यत्र नहीं। उनमें भी जहाँ मनुष्यों की संख्या अधिक होती है, वहाँ पचन - पाचन की प्रवृत्ति अधिक होने से तेजस्कायिक जीवों की अधिकता होती है। दक्षिण में पांच भरत क्षेत्रों तथा उत्तर में पांच ऐरवत क्षेत्रों में क्षेत्र की अल्पता होने से मनुष्य कम है, अतएव वहां तेजस्कायिक भी कम हैं । स्वस्थान में (अर्थात् दोनों में ) प्राय: समान हैं। इन दोनों दिशाओं की अपेक्षा पूर्व में क्षेत्र संख्यातगुण अधिक होने से तेजस्कायिक पूर्व में संख्यातगुणे अधिक हैं, तथा उनमें भी विशेषाधिक तेजस्कायिक पश्चिमदिशा में हैं, क्योंकि वहाँ अधोलौकिक ग्राम होते हैं, जहाँ मनुष्यों की बहुलता होती है ।
(४) वायुकायिक जीवों का अल्पबहुत्व - सब से अल्प वायुकायिक जीव पूर्व में हैं, क्योंकि जहाँ पोल होती है वहीं वायु का संचार होता है, सघन स्थान में नहीं। पूर्व में सघन (ठोस) स्थान अधिक होने से वायु अल्प है। पूर्व की अपेक्षा पश्चिम में वायुकायिक जीव विशेषाधिक हैं, क्योंकि वहाँ अधोलौकिक ग्राम होते हैं । उत्तर में उससे विशेषाधिक हैं, क्योंकि नारकावासों की वहाँ बहुलता होने से पोल अधिक है। दक्षिण में उत्तर की अपेक्षा पोल अधिक है, क्योंकि दक्षिण में भवनों और नारकावासों की प्रचुरता है, इसलिए दक्षिण में वे विशेषाधिक हैं
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(५) वनस्पतिकायिक जीवों का अल्पबहुत्व- सबसे कम पश्चिम में हैं, क्योंकि पश्चिम में गौतमद्वीप होने से जल की अल्पता है और जल अल्प होने से वनस्पतिकायिक जीव भी कम हैं। पश्चिम की अपेक्षा पूर्व में वनस्पतिकायिक विशेषाधिक हैं, क्योंकि पूर्व में गौतमद्वीप न होने से जल अधिक है। उनसे दक्षिणदिशा में वनस्पतिकायिक विशेषाधिक हैं, क्योंकि वहाँ चन्द्र-सूर्य द्वीप का अभाव होने से
की प्रचुरता है।
(६) द्वीन्द्रिय जीवों का अल्पबहुत्व - सबसे कम द्वीन्द्रिय पश्चिमदिशा में हैं, क्योंकि वहाँ गौतमद्वीप होने से जल कम है और जल कम होने से शंख आदि द्वीन्द्रिय जीव कम हैं। उनसे पूर्व दिशा में विशेषाधिक हैं, क्योंकि वहाँ गौतमद्वीप का अभाव होने से जल का प्राचुर्य है, इस कारण शंख आदि द्वीन्द्रिय जीवों की अधिकता है। दक्षिण में उनसे भी विशेषाधिक हैं, क्योंकि वहाँ चन्द्र-सूर्य द्वीप न होने