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द्वितीय स्थानपद] अपने-अपने लाखों भवनावासों का, अपने-अपने हजारों सामानिकदेवों का, अपने-अपने त्रायस्त्रिंश देवों का, अपने-अपने लोकपालों का, अपनी-अपनी अग्रमहिषियों का, अपनी-अपनी परिषदाओं का, अपनेअपने सैन्यों (अनीकों) का, अपने-अपने सेनाधिपतियों का, अपने-अपने आत्मरक्षक देवों का, तथा अन्य बहुत-से भवनवासी देवों और देवियों का आधिपत्य, पौरपत्य (अग्रेसरत्व), स्वामित्व (नायकत्व), भर्तृत्व (पोषकत्व), महत्तरत्व (महानता), आज्ञैश्वरत्व (अपनी आज्ञा का पालन करने का प्रभुत्व), एवं सेनापतित्व (अपनी सेना को आज्ञा पालन कराने का प्राधान्य) करते-कराते हुए तथा पालन करते-कराते हुए, अहत (अव्याहत-व्याघात रहित अथवा आहत-आख्यानकों से प्रतिबद्ध) नृत्य, गीत, वादित, एवं तंत्री, तल, ताल (कांसा), त्रुटित (वाद्य) और घनमृदंग बजाने से उत्पन्न महाध्वनि के साथ दिव्य एवं उपभोग्य भोगों को भोगते हुए विचरते हैं।
१७८. [१] कहि णं भंते! असुरकुमाराणं देवाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते! असुरकुमारा.देवा परिवसंति ?
गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसतसहस्सबाहल्लाए उवरिं एगं जोयणसहस्सं ओगाहित्ता-हेट्ठा वेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठहत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थ णं असुरकुमाराणं देवाणं चोवटुिं भवणावाससतसहस्सा हवंतीति मक्खायं।
ते णं भवणा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा अहे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिता उक्किण्णंतरविउलगंभीरखाय-परिहा पागार-ट्टालय-कवाड-तोरण-पडिदुवारदेसभागा जंतसयग्घि-मुसलमुसुंढिपरियरिया अओझा सदाजया सदागुत्ता अडयालकोट्ठगरइया अडयालकयवणमाला खेमा सिवा किं करामरदंडोवरक्खिया लाउल्लोइयमहिया गोसीस-सरसरत्तचंदणदद्दर-दिण्णपंचंगुलितला उवचितचंदणकलसा चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागा आसत्तोसत्तविउल-वट्टवग्धारियमल्लदामकलावा पंचवण्णसरससुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिया कालागरु-पवरकुंदुरुक्कतुरुक्कधूवमघमधंतगंधुडुयाभिरामा सुगंधवरगंधगंधिया गंधवट्टिभूता अच्छरगणसंघसंविगिण्णा दिव्वतुडितसद्दसंपदिया सव्वरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा घट्टा मट्ठा णीरया निम्मला निप्पंका णिक्कंकडच्छाया सप्पभा समरीया सउज्जोया पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, एत्थ णं असुरकुमाराणं देवाणं पज्जत्तऽपज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता। ___उववाएणं लोयस्स असंखेन्जइभागे, समुग्धाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे।
तत्थ णं बहवे असुरकुमारा देवा परिवसंति, काला लोहियक्ख-बिंबोट्ठा धवलपुप्फदंता असियकेसा वामेयकुंडलधरा अद्दचंदणाणुलित्तगत्ता, ईसीसिलिंधपुण्फपगासाई असंकिलिट्ठाई सुहुमाई वत्थाई पवरपरिहिया, वयं च पढमं समइक्कंता, बिइयं च असंपत्ता, भद्दे जोव्वणे वट्टमाणा, तलभंगय-तुडित-पवरभूसण-निम्मलमणि-रयणमंडितभुया दसमुद्दामंडियग्गहत्था चूडामणि