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प्रथम प्रज्ञापनापद]
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(२३) पुरिवर्त (परावर्त्त) (नामक जनपद में) मासा पुरी (माषानगरी), (२४) कुणाल (देश में), श्रावस्ती (सेहटमेहट), (२५) लाढ (देश में) कोटिवर्ष (नगर) ॥ ११६॥ और (२५%2) केकयार्द्ध (जनपद में) श्वेताम्बिका (नगरी), (ये सब२५ ॥ देश) आर्य (क्षेत्र) कहे गए हैं। इन (क्षेत्रों में तीर्थंकरों, चक्रवर्तियों, राम और कृष्ण (बलदेवों और वासुदेवों) का जन्म (उत्पत्ति) होता है॥ ११७ ॥ यह हुआ उक्त क्षेत्रार्यों का वर्णन।
१०३. से किं तं जातिआरिया ? जातिआरिया छव्विहा पण्णत्ता। तं जहा
· अंबट्ठा १य कलिंदा २ विदेहा ३ वेदगा ४ इ य।
हरिया ५ चुंचुणा ६ चेव, छ एया इब्भजातिओ ॥ ११८॥ से तं जातिआरिया। [१०३ प्र.] जात्यार्य किस प्रकार के हैं ? [१०३ उ.] जात्यार्य छह प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं
[गाथार्थ]–(१) अम्बष्ठ, (२) कलिन्द, (३) वैदेह, (४) वेदग (वेदंग) आदि और (५) हरित एवं (६) चुंचुण; ये छह इभ्य (अर्चनीय-माननीय) जातियां हैं ॥ ११८॥
यह हुआ उक्त जात्यार्यों का निरूपण। १०४. से किं कुलारिया ?
कुलारिया छव्विहा पन्नत्ता। तं जहा—उग्गा १ भोगा २ राइण्णा ३ इक्खागा ४ णाता ५ कोरव्वा ६। से त्तं कुलारिया।
[१०४ प्र.] कुलार्य कौन-कौन से हैं ?
[१०४ उ.] कुलार्य' छह प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं – (१) उग्र (२) भोग, (३) राजन्य, (४) इक्ष्वाकु, (५) ज्ञात और (६) कौरव्य। यह हुआ कुलार्यों का निरूपण।
१०५. से किं तं कम्मारिया ? १. पाठान्तर-अज्जजातितो। २. जात्यार्य-उमास्वातिकृत तत्त्वार्थभाष्य में इक्ष्वाकु विदेह, हरि, अम्बष्ठ, ज्ञात, कुरु, बुबुनाल, (?) उग्र, भोग, राजन्य
आदि की गणना जात्यार्य में की गई है। ३. अम्बष्ठ ब्राह्मण पुरुष और वैश्यस्त्री से उत्पन्न सन्तान, देखिये—मनुस्मृति तथा आचारांगनियुक्ति (२०-२७) ४. वैदेह- वैश्य पुरुष और ब्राह्मणस्त्री से उत्पन्न। देखिये—मनुस्मृति तथा आचारांगनियुक्ति (२०-२७) ५. कुलार्य-तत्त्वार्थभाष्य में कुलकर, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव आदि की गणना कुलार्य में की गई है।
-तत्त्वार्थाभाष्य, अ. ३/ सू. १५ ६. उग्र-क्षत्रिय पुरुष और शूद्रस्त्री से उत्पन्न सन्तान। देखिये मनुस्मृति और आचारांगनियुक्ति।