SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 197
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९६ ] बारवती य सुरट्टा ११, मिहिल विदेहा य १२, वच्छ' कोसंबी १३ । संडिल्ला १४, भद्दिलपुरमेव दिपुरं मलया य १५ ॥ ११४ ॥ वइराड मच्छ' १६, वरणा अच्छा १७, तह मत्तियावइ दसण्णा १८ । सुत्तीमाई य जेदी १९, वीइभयं सिंधुसोवीरा २० ॥ ११५ ॥ महुरा य सूरसेणा २१, पावा भंगी य २२, मास पुरिवट्टा २३ । सावत्थय कुणाला २४, कोडीवरिसं च ॥ सेयविया वि य णयरी केयइअद्धं च२५ एत्थुपत्ति जिणाणं चक्कीणं सेत्तं खेत्तारिया । लाढा य २५ ॥ ११६ ॥ आरियं भणितं । राम- कण्हाणं ॥ ११७॥ [ प्रज्ञापना सूत्र [ १०२ प्र.] क्षेत्रार्य किस-किस प्रकार के हैं ? [१०२ उ.] क्षेत्रार्थ साढ़े पच्चीस प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं [गाथाओं का अर्थ]– (१) मगध (देश में) राजगृह (नगर), (२) अंग (देश में) चम्पा (नगरी), तथा (३) बंग (देश में) ताम्रलिप्ती ( तामलूक नगरी), (४) कलिंग (देश में) काञ्चनपुर और (५) काशी (देश में), वाराणसी (नगरी), ॥ ११२ ॥ (६) कौशल ( देश में) साकेत (नगर), (७) कुरु (देश में) गजपुर (हस्तिनापुर), (८) कुशार्त्त (कुशावर्त्त देश में) सौरियपुर (सौरीपुर), (९) पंचाल (देश में), काम्पिल्य, (१०) जांगल (देश में) अहिच्छत्रा (नगरी), ॥ ११३ ॥ (११) सौराष्ट्र में द्वारावती (द्वारिका), (१२) विदेह ( जनपद में ), मिथिला (नगरी), (१३) वत्स (देश में) कौशाम्बी (नगरी), (१४) शाण्डिल्य (देश में), नन्दिपुर, (१५) मलय (देश में), भद्दिलपुर ॥ ११४॥ (१६) मत्स्य (देश में), वैराट नगर, (१७) वरण (देश में), अच्छ (पुरी), तथा (१८) दशार्ण (देश में), मृत्तिकावती (नगरी), (१९) चेदि (देश में) शुक्तिमती (शौक्तिकावती), (२०) सिन्धु - सौवीर देश में वीतभय नगर ॥ ११५ ॥ (२१) शूरसेन ( देश में) मथुरा (नगरी), (२२) भंग (नामक जनपद में ) पावापुरी ( अपापा नगरी), १. प्रवचनसोद्धार की गाथा १५८९ से १५९२ तक की वृत्ति १३ वें आर्यक्षेत्र से पाठक्रम तथा इसी के समान वृत्ति मिलती है— 'वत्सदेशः कौशाम्बी नगरी १३ नन्दिपुरं नगरं शाण्डिल्यो शाण्डिल्या वा देशः १४ भद्दिलपुरं नगरं मलयादेशः १५ वैराटो देशः वत्सा राजधानी, अन्ये तु 'वत्सादेशो वैराटं परं नगरम्' इत्याहुः १६ वरुणा नगरं अच्छादेश:; अन्ये तु 'वरुणेषु अच्छापुरी' इत्याहुः १७ तथा मृत्तिकावती नगरी दशार्णो देशः १८ शुक्तिमती नगरी चेदयो देशः १९ वीतभयं नगरं सिन्धुसौवीरा जनपदः २० मथुरा नगरी सूरसेनाख्यो देशः २१ पापा नगरी भङ्गयो देश : २२ मासपुरी नगरी वर्तो देशः २३ तथा श्रावस्ती नगरी कुणाला देशः २४ ।' – पत्रांक ४४६ / २ २. वैराट् नगर (वर्तमान में वैराठ ) अलवर के पास है, जहाँ प्राचीनकाल में पाण्डवों का अज्ञातवास रहा है । यह वत्सदेश होकर मत्स्यदेश में है। क्योंकि वच्छ कोसांबी पाठ पहले आ चुका है। अतः मूलपाठ में यह 'वच्छ' न होकर मच्छ शब्द होना चाहिए। अन्यथा 'वहराड वच्छ' पाठ होने से वत्सदेश नाम के दो देश होने का भ्रम हो जाएगा । – सं. । — देखिये, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भा-२, पृ. ९१ ।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy