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________________ [प्रज्ञापना सूत्र रुरु कंडुरिया जारू दीरविराली तहेव किट्ठीयारे। हलिद्दा सिंगबेरे य आलूगा मूलए इ य ॥४८॥ कंबू य कण्हकडबू महुओ वलई तहेव महुसिंगी। णिरुहा सप्पसुयंधा छिण्णरुहा चेव बीयरुहा ॥ ४९॥ पाढा मियवालुंकी महुररसा चेव रायवल्ली' य। पउमा य माढरी दंती चंडी किट्टि त्ति यावरा ॥५०॥ मासपण्णी मुग्गपण्णी जीवियरसभेय रेणुया चेव । काओली खीरकाओली तहा भंगी णहीइ य ॥५१॥ कि मिरासि भद्दमुत्था णंगलई पलुगा इय। किण्हे पउले य हढे हरतणुया चेव लोयाणी ॥५२॥ कण्हे कंदे वजे सूरणकंदे तहे व खल्लूडे । एए अणंतजीवा, जे यावऽण्णे तहाविहा ॥५३॥ [५४-१ प्र.] वे पूर्वोक्त साधारणशरीर बादरवनसपतिकायिक जीव किस प्रकार के हैं ? [५४-१उ.] साधारणशरीर बादरवनसपतिकायिक जीव अनेक प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार [गाथार्थ-] अवक, पनक, शैवाल, लोहिनी, स्निहूपुष्प (थोहर का फूल), मिहू स्तिहू (मिहूत्थु), हस्तिभागा और अश्वकर्णी, सिंहकर्णी, सिउण्डी (शितुण्डी), तदनन्दर मुसुण्ढी ॥४७॥ रुरु, कण्डुरिका (कुण्डरिका या कुन्दरिका), जीरु (जारु), क्षीरविरा (डा) ली, तथा किट्टिका, हरिद्रा (हल्दी), शृंगबेर (आदा या अदरक) और आलू एवं मूला ॥४८॥ कम्बू (काम्बोज) और कृष्णकटबू (कर्णोत्कट), मधुक (सुमात्रक), वलकी तथा मधुशृंगी, नीरूह, सर्पसुगन्धा, छिन्नरुह, और बीजरुह ॥ ४९ ॥ पाढा, मृगवालुंकी, मधुररसा और राजपत्री, तथा पद्मा, माठरी, दन्ती, इसी प्रकार चण्डी और इसके बाद किट्टी (कृष्टि)॥५०॥ माषपर्णी, मुद्गपर्णी, जीवित, रसभेद, (जीवितरसह) और रेणुका, काकोली (काचोली), क्षीरकाकोली, तथा भुंगी,(भंगी), इसी प्रकार नखी ॥५१॥ कृमिराशि, भद्रमुस्ता (भद्रमुक्ता), नांगलकी, पलुका (पेलुका), इसी प्रकार कृष्णप्रकुल, और हड, हरतनुका तथा लोयाणी ॥५२॥ कृष्णकन्द, वज्रकन्द, सूरणकन्द, तथा खल्लूर, ये (पूर्वोक्त) अनन्त जीव वाले हैं । इनके अतिरिक्त और जितने भी इसी प्रकार के हैं, (वे सब अनन्त जीवात्मक हैं। ) ॥ ५३॥ [२] तणमूल कंदमूले वंसमूले त्ति यावरे । संखेजमसंखेज्जा बोधव्वाऽणंतजीवा य ॥५४॥ सिंघाडगस्स गुच्छो अणेगजीवो उ होति नायव्वो। पत्ता पत्तेयजीया, दोण्णि य जीवा फले भणिता ॥५५॥ पाठान्तर-१ जीरु । २ किट्टीया । ३ कंबूयं कन्नुक्कई सुमत्तओ । ४ मियमालुकी । ५ रायवत्ती । ६ वेलुगा इय ।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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