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प्रथम प्रज्ञापनापद]
कंगूया कदुइया कक्कोडइ कारियल्लई सुभगा। कुवधा (या) य वागली पाववल्लि तह देवदारू य॥२९॥ अप्फोया अइमुत्तय णागलया कण्ह-सूरवल्ली य। संघट्ट सुमणसा वि य जासुवण कुविंदवल्ली य॥ ३०॥ मुद्दिय अप्पा' भल्ली छीरविराली जियंति गोवाली। पाणी मासावल्ली गुंजावल्ली य वच्छाणी ॥३१॥ ससबिंदु गोत्तफुसिया गिरिकण्णइ मालुया य अंजणई।
दहफुल्लइ११ कागणि१२ मोगली य तह अक्कबोंदी य॥३२॥ ये यावऽण्णे तहप्पगारा। से तं वल्लीओ। [४५ प्र.] वे (पूर्वोक्त) वल्लियाँ किस प्रकार की होती हैं ? [४५ उ.] वल्लियाँ अनेक प्रकार की कहीं गई हैं। वे इस प्रकार हैं
[गाथार्थ—] पूसफली, कालिंगी (जंगली तरबूज की बेल), तुम्बी, त्रपुषी (ककड़ी), एलवालुकी (एक प्रकार की ककड़ी), घोषातकी, पटोला, पंचांगुलिका और नालीका (आयनीली) ॥ २८॥
कंगुका, कुद्दकिका (कण्डकिका), कर्कोटकी (कंकोड़ी या ककड़ी), कारवेल्लकी (कारेली), सुभगा, कुवधा, (कुवया कुयवाया) और वागली, पापवल्ली, तथा देवदारु (देवदाली) ॥ २९॥ अफ्फोया (अफेया), अतिमुक्ता, नागलता और कृष्णसूरवल्ली, संघट्टा और सुमनसा भी तथा जासुवन और कुविन्दवल्ली॥ ३० ॥ मुद्दीका, अप्पा, भल्ली (अम्बावली), क्षीरविराली (कृष्णक्षीरीली), जीयंती (जयंती), गोपाली, पाणी, मासावल्ली, गुंजावल्ली, (गुजीवल्ली) और वच्छाणी (विच्छाणी) ॥ ३१॥
शशबिन्दु, गोत्रस्पृष्टा, (ससिवी द्विगोत्रस्पृष्टा), गिरिकर्णकी, मालुका और अंजनकी, दहस्फोटकी (दधिस्फोटकी), काकणी (काकली) और मोकली तथा आर्कबोन्दी॥ ३२॥
इसी प्रकार की अन्य जितनी भी (वनस्पतियाँ हैं, उन सबको वल्लियाँ समझना चाहिए।) यह हुई, वल्लियों की प्ररूपणा।
४६. से किं तं पव्वगा? पव्वगा अणेगविहा पन्नत्ता। तं जहा
इक्खू य इक्खुवाडी वीरण तह एक्कडे १३ भमासे य।
सुंठे (सुंबे) सरे य वेत्ते तिमिरे सतपोरग णले य॥ ३३॥ पाठान्तर- १. कंडुइया। २. कुवया, कुयवाया। ३. देवदाली य। ४. अफेया। ५. अम्बावल्ली। ६. किण्हछीराली। ७. जयंती।
८. गुजीवल्ली। ९. विछाणी। १०. ससिवी दुगोत्तफुसिया। ११. दहिफोल्लइ । १२. काकली। १३. एक्कडे य मासे।