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प्रथम प्रज्ञापनापद] लिलोती), (१०) औषधि (गेहूँ आदि धान्य, जो फल (फसल) पकने पर सूख जाते हैं), (११) जलरुह (पानी में उगने वाली कमल, सिंघाड़ा, उदकावक आदि वनस्पति) और (१२) कुहण (भूमि को फोड़ कर उगने वाली वनस्पति), (ये बारह प्रकार के प्रत्येकशरीर-बादरवनस्पतिकायिक जीव) समझने चाहिए।
३९. से किं तं रुक्खा ? रुक्खा दुविहा पन्नत्ता। तं जहा—एगट्ठिया य बहुबीयगा य । [३९ प्र.] वे वृक्ष कितने प्रकार के हैं ?
[३९ उ.] वृक्ष दो प्रकार के कहे गए हैं -एकास्थिक (प्रत्येक फल में एक गुठली या बीज वाले) और बहुबीजक (जिनके फल में बहुत बीज हों)।
४०. से किं तं एगट्ठिया ? एगट्ठिया अणेगविहा पण्णत्ता। तं जहा
णिबंब जंबु कोसंब साल अंकोल्ल पीलु सेलू य। सल्लइ मोयइ मालुय बउल पलासे करंजे य॥१३॥ पुत्तंजीवयऽरिटे बिभेलए हरडए य भल्लाए। उंबेभरिया खीरिण बोधव्वे धायइ पियाले॥१४॥ पूई करंज सेण्हा (सण्हा) तह सीसवा य असणे य।
पुण्णाग णागरुक्खे सोवण्णि तहा असोगे य॥१५॥ जे यावऽण्णे तहप्पगारा।
एतेसि णं मूला असंखेज्जजीविया, कंदा वि खंधा वि तया वि साला वि पवाला वि। पत्ता पत्तेयजीविया। पुप्फा अणेगजीविया। फला एगट्ठिया। से तं एगट्ठिया।
[४० प्र.] एकास्थिक (प्रत्येक फल में एक बीज-गुठली वाले) वृक्ष किस प्रकार के होते हैं? [४० उ.] एकास्थिकवृक्ष अनेक प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं
[गाथार्थ—] नीम, आम, जामुन, कोशम्ब (कोशाम्र-जंगली आम,) शाल, अंकोल्ल (अखरोट या पिश्ते का पेड़), पीलू, शेलु (लिसोड़ा) सल्लकी (हाथी को प्रिय), मोचकी, मालुक, बकुल, (मौलसरी) पलाश (खाखरा या ढाक), करंज (नक्तमाल) ॥ १३ ॥
पुत्रजीवक (पित्तौझिया), अरिष्ठ (अरीठा) बिभीतक, (बहेड़ा), हरड या जियापोता, भल्लातक (भिलावा), उम्बेभरिया, खीरणि (खिरनी), धातकी और प्रियाल ॥ १४ ॥
पूतिक (निम्ब—निम्बौली), करञ्ज, श्लक्ष्ण (या प्लक्ष)तथा शीशपा, अशन और पुन्नाग (नागकेसर), नागवृक्ष, श्रीपर्णी और अशोक; (ये एकास्थिक वृक्ष हैं)।