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________________ पढमं पण्णवणापदं प्रथम प्रज्ञापनापद प्रथम : स्वरूप और प्रकार ३. से किं तं पण्णवणा? पण्णवणा दुविहा पन्नत्ता। तं जहा—जीवपण्णवणा य १ अजीवपण्णवणा य २। [३-प्र.] वह (पूर्वोक्त) प्रज्ञापना (का अर्थ) क्या है ? [३-उ.] प्रज्ञापना दो प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार—जीवप्रज्ञापना और अजीवप्रज्ञापना। अजीवप्रज्ञापना : स्वरूप और प्रकार ४. से किं तं अजीवपण्णवणा? अजीवपण्णवणा दुविहा पण्णत्ता। तं जहा–रूविअजीवपण्णवणा य १ अरूविअजीव- . पण्णवणा य २। [४-प्र.] वह अजीवप्रज्ञापना क्या है ? [४-उ.] अजीवप्रज्ञापना दो प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार—१. रूपी-अजीवप्रज्ञापना और २. अरूपी-अजीवप्रज्ञापना। अरूपी-अजीवप्रज्ञापना ___५. से किं तं अरूविअजीवपण्णवणा ? अरूविअजीवपण्णवणा दसविहा पन्नत्ता। तं जहा—धम्मत्थिकाए १ धम्मत्थिकायस्स देसे २ धम्मत्थिकायस्स पदेसा ३, अधम्मत्थिकाए ४ अधम्मत्थिकायस्स देसे ५ अधम्मत्थिकायस्स पदेसा ६, आगासत्थिकाए ७ आगासत्थिकायस्स देसे ८ आगासत्थिकायस्स पदेसा ९, अद्धासमए १० । से तं अरूविअजीवपण्णवणा। [५-प्र.] वह अरूपी-अजीवप्रज्ञापना क्या है ? [५-उ.] अरूपी-अजीवप्रज्ञापना दस प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार-१. धर्मास्तिकाय, २. धर्मास्तिकाय का देश, ३. धर्मास्तिकाय के प्रदेश, ४. अधर्मास्तिकाय, ५. अधर्मास्तिकाय का देश, ६. अधर्मास्तिकाय के प्रदेश, ७. आकाशास्तिकाय, ८. आकाशस्तिकाय का देश, ९ आकाशास्तिकाय के प्रदेश और १०. अद्धाकाल। यह अरूपी-अजीवप्रज्ञापना है। रूपी-अजीवप्रज्ञापना ६. से किं तं रूविअजीवपण्णवणा?
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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