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[ जीवाजीवाभिगमसूत्र
कर्कोटक पर्वत के उत्तर-पूर्व में तिरछे असंख्यात द्वीप - समुद्र पार करने पर अन्य लवणसमुद्र में है । प्रमाण आदि सब पूर्ववत् है ।
१. कर्दम नामक' आवासपर्वत के विषय में भी पूरा वर्णन पूर्ववत् है । विशेषता यह है कि मेरूपर्वत के दक्षिण-पूर्व (आग्नेयकोण) में लवणसमुद्र में वयालीस हजार योजन जाने पर यह कर्दमपर्वत स्थित है । विद्युत्प्रभा इसकी राजधानी है जो इस आवासपर्वत से दक्षिण पूर्व (आग्नेयकोण) में असंख्यात द्वीप- समुद्र पार करने पर अन्य लवणसमुद्र में है, आदि वर्णन पूर्वोक्तविजया राजधानी की तरह जानना चाहिए ।
कैलाश नामक आवासपर्वत के विषय में पूरा वर्णन पूर्ववत् है । विशेषता यह है कि यह मेरू से दक्षिण-पश्चिम (नैर्ऋत्यकोण) में है । इसकी राजधानी कैलाशा है और वह कैलाशपर्वत के दक्षिणपश्चिम (नैर्ऋत्यकोण) में असंख्यात द्वीप - समुद्र पार करने पर अन्य लवणसमुद्र में हैं ।
अरूणप्रभ नामक आवासपर्वत मेरूपर्वत के उत्तर-पश्चिम (वायव्यकोण) में है । राजधानी भी अरूणप्रभ आवासपर्वत के वायव्यकोण में असंख्य द्वीप - समुद्रों के बाद अन्य लवणसमुद्र में है । शेष सब वर्णन विजया राजधानी की तरह है। ये चारों आवासपर्वत एक ही प्रमाण के हैं और सर्वात्मना रत्नमय हैं।
गौतमद्वीप का वर्णन
१६१. कहि णं भंते ! सुट्ठियस्स लवणाहिवइस्स गोयमदीवे णामं दीवे पण्णत्ते? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं लवणसमुद्दं बारसजोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं सुट्ठियस्स लवणाहिवइस्स गोयमदीवे णामं दीवे पण्णत्ते, बारस जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं सत्ततीसं जोयणसहस्साइं नव य अडयाले जोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं जंबूदीवंतेणं अकोणणउए जोयणाई चत्तालीसं पंचणउट्टभागे जोयणस्स ऊसिए जलंताओ, लवणसमुद्दतेणं दो कोसे ऊ सिए जलंताओ ।
से णं एगाए य पउमवरवेइयाए एगेणं वणसंडेणं सव्वओ समंता तहेव वण्णओ दोह वि। गोयमदीवस्स णं अंतो जाव बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते । से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव आसयंति। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं सुट्ठियस्स लवणाहिवइस्स एगे महं अइक्कीलावासे णामे भोमेज्जविहारे पण्णत्ते बावट्ठि जोयणाइं अद्धजोयणं य उड्डुं उच्चत्तेणं, एकत्तीसं, जोयणाई कोसं च विक्खंभेणं अणेगखं भसयसन्निविट्ठे भवणवण्णओ भाणियव्वो ।
अइक्कीलावासस्स णं भोमेज्जविहारस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते जाव मणीणं फासो । तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ एगा मणिपेढिया पण्णत्ता।
१. कर्दम आवासपर्वत का देव स्वभावतः यक्षकर्दमप्रिय है। यक्षकर्दम का अर्थ है - कुंकुम, अगुरू, कपूर, कस्तूरी, चन्दन आदि के मिश्रण से जो सुगन्धित द्रव्य निर्मित होता है, वह यक्षकर्दम है। पूर्वपद का लोप होने से कर्दम कहा गया है।