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________________ १४] [ जीवाजीवाभिगमसूत्र कर्कोटक पर्वत के उत्तर-पूर्व में तिरछे असंख्यात द्वीप - समुद्र पार करने पर अन्य लवणसमुद्र में है । प्रमाण आदि सब पूर्ववत् है । १. कर्दम नामक' आवासपर्वत के विषय में भी पूरा वर्णन पूर्ववत् है । विशेषता यह है कि मेरूपर्वत के दक्षिण-पूर्व (आग्नेयकोण) में लवणसमुद्र में वयालीस हजार योजन जाने पर यह कर्दमपर्वत स्थित है । विद्युत्प्रभा इसकी राजधानी है जो इस आवासपर्वत से दक्षिण पूर्व (आग्नेयकोण) में असंख्यात द्वीप- समुद्र पार करने पर अन्य लवणसमुद्र में है, आदि वर्णन पूर्वोक्तविजया राजधानी की तरह जानना चाहिए । कैलाश नामक आवासपर्वत के विषय में पूरा वर्णन पूर्ववत् है । विशेषता यह है कि यह मेरू से दक्षिण-पश्चिम (नैर्ऋत्यकोण) में है । इसकी राजधानी कैलाशा है और वह कैलाशपर्वत के दक्षिणपश्चिम (नैर्ऋत्यकोण) में असंख्यात द्वीप - समुद्र पार करने पर अन्य लवणसमुद्र में हैं । अरूणप्रभ नामक आवासपर्वत मेरूपर्वत के उत्तर-पश्चिम (वायव्यकोण) में है । राजधानी भी अरूणप्रभ आवासपर्वत के वायव्यकोण में असंख्य द्वीप - समुद्रों के बाद अन्य लवणसमुद्र में है । शेष सब वर्णन विजया राजधानी की तरह है। ये चारों आवासपर्वत एक ही प्रमाण के हैं और सर्वात्मना रत्नमय हैं। गौतमद्वीप का वर्णन १६१. कहि णं भंते ! सुट्ठियस्स लवणाहिवइस्स गोयमदीवे णामं दीवे पण्णत्ते? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं लवणसमुद्दं बारसजोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं सुट्ठियस्स लवणाहिवइस्स गोयमदीवे णामं दीवे पण्णत्ते, बारस जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं सत्ततीसं जोयणसहस्साइं नव य अडयाले जोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं जंबूदीवंतेणं अकोणणउए जोयणाई चत्तालीसं पंचणउट्टभागे जोयणस्स ऊसिए जलंताओ, लवणसमुद्दतेणं दो कोसे ऊ सिए जलंताओ । से णं एगाए य पउमवरवेइयाए एगेणं वणसंडेणं सव्वओ समंता तहेव वण्णओ दोह वि। गोयमदीवस्स णं अंतो जाव बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते । से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव आसयंति। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं सुट्ठियस्स लवणाहिवइस्स एगे महं अइक्कीलावासे णामे भोमेज्जविहारे पण्णत्ते बावट्ठि जोयणाइं अद्धजोयणं य उड्डुं उच्चत्तेणं, एकत्तीसं, जोयणाई कोसं च विक्खंभेणं अणेगखं भसयसन्निविट्ठे भवणवण्णओ भाणियव्वो । अइक्कीलावासस्स णं भोमेज्जविहारस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते जाव मणीणं फासो । तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ एगा मणिपेढिया पण्णत्ता। १. कर्दम आवासपर्वत का देव स्वभावतः यक्षकर्दमप्रिय है। यक्षकर्दम का अर्थ है - कुंकुम, अगुरू, कपूर, कस्तूरी, चन्दन आदि के मिश्रण से जो सुगन्धित द्रव्य निर्मित होता है, वह यक्षकर्दम है। पूर्वपद का लोप होने से कर्दम कहा गया है।
SR No.003455
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size5 MB
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