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________________ सर्वजीवाभिगम] [२१९ भगवन् ! सिद्ध, सिद्ध रूप में कितने समय रहता है? गौतम! सिद्ध सादि-अपर्यवसित है। सदा उसी रूप में रहता है। भगवन् ! प्रथमसमयनैरयिक का अन्तर कितना है? गौतम! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त अधिक दस हजार वर्ष और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है। अप्रथमसमयनैरयिक का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है। प्रथमसमयतिर्यग्योनिक का अन्तर जघन्य समय कम दो क्षुल्लकभवग्रहण और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है। अप्रथमसमयमनुष्य का अन्तर जघन्य समयाधिक क्षुल्लकभवग्रहण है और उत्कर्ष से साधिक सागरोपमशतपृथक्त्व है। प्रथमसमयमनुष्य का अन्तर प्रथमसमयतिर्यंच के समान है। अप्रथमसमयमनुष्य का अन्तर समयाधिक क्षुल्लकभवग्रहण है और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है। प्रथमसमयदेव का अन्तर प्रथमसमयनैरयिक के समान है। अप्रथमसमयदेव का अन्तर अप्रथमसमयनैरयिक के समान है। . सिद्ध सादि-अपर्यवसित होने से अन्तर नहीं है। भगवन् ! इन प्रथमसमयनैरयिक, प्रथमसमयतिर्यग्योनिक, प्रथमसमयमनुष्य और प्रथमसमयदेवों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं? ___ गौतम! सबसे थोड़े प्रथमसमयमनुष्य, उनसे प्रथमसमयनैरयिक असंख्यगुण, उनसे प्रथमसमयदेव असंख्यातगुण, उनसे प्रथमसमयतिर्यग्योनिक असंख्यातगुण हैं। भगवन् ! इन अप्रथमसमयनैरयिक, अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक, अप्रथमसमयमनुष्य और अप्रथमसमयदेवों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक है? गौतम! सबसे थोड़े अप्रथमसमयमनुष्य हैं, उनसे अप्रथमसमयनैरयिक असंख्येगुण हैं, उनसे अप्रथमसमयदेव असंख्येयगुण हैं और उनसे अप्रथमसमयतिर्यंच अनन्तगुण हैं। ___भगवन् ! इन प्रथमसमयनैरयिकों और अप्रथमसमयनैरयिकों में कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? गौतम! सबसे थोड़े प्रथमसमयनैरयिक हैं और उनसे अप्रथमसमयनैरयिक असंख्यातगुण हैं। ___भगवन् ! इन प्रथमसमयतिर्यंचों और अप्रथमसमयतिर्यंचों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? गौतम! प्रथमसमयतिर्यंच सबसे थोड़े और अप्रथमसमयतिर्यंच अनन्तगुण हैं। ___ मनुष्य और देवों का अल्पबहुत्व नैरयिकों, की तरह कहना चाहिए। भगवन् इन प्रथमसमयनैर यिक, प्रथमसमयतिर्यंच, प्रथमसमयमनुष्य, प्रथमसमयदेव, अप्रथमसमयनैरयिक, अप्रथमसमयतिर्यंच, अप्रथमसमयमनुष्य, अप्रथमसमयदेव और सिद्धों में कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? गौतम! सबसे थोड़े प्रथमसमयमनुष्य, उनसे अप्रथमसमयमनुष्य असंख्यातगुण, उनसे
SR No.003455
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size5 MB
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