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________________ षड्विधाख्या पंचम प्रतिपत्ति] [१३९ असंखेज्जगुणा, पत्ते यसरीरबादरवणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा, बायरनिगोया असंखेज्जगुणा, बायरपुढविकाइया असंखेज्जगुणा, बायरआउ-वाउ असंखेज्जगुणा, बायरवणस्सइकाइया अणंतगुणा, बायरा विसेसहिया। (२) एवं अपज्जत्तगाणवि। (३) पज्जत्तगाणं सव्वत्थोवा बायरतेउक्काइया, बायरतसकाइया असंखेज्गुणा, पत्तेयसरीर-बायरा असंखेज्जगुणा, सेसा तहेव जाव बादरा विसेसाहिया। (४) एतेसि णं भंते! बायराणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? सव्वत्थोवा बायरा पज्जत्ता, बायरा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा एवं सव्वे जाव बायरतसकाइया। (५) एएसि णं भंते! बायराणं बायरपुढविकाइयाणं जाण बायरतसकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा०? सव्वत्थोवा बायरतेउक्काइया पज्जत्तगा, बायरतसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बायरतसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बायरणिओया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, पुढवि-आउ-वाउ-पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बायरतेउ अपजजत्तगा असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरवायरवणस्सइ अपज्जत्ता असंखेज्जगुण, बायरा णिओदा अपज्जत्तगा असंखेजगुणा, बायरपुढवि-आउ-वाउ अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बायरवणस्सइ अपज्जत्तगा अणंतगुणा, बादरपज्जत्तगा विसेसाहिया, बायरवणस्सइ अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बायरा अपज्जत्तगा विसेसाहिया, बायरा पज्जत्ता विसेसाहिया। २२१. (अ) (१) प्रथम औधिक अल्पबहुत्व सबसे थोड़े बादर त्रसकाय, उनसे बादर तेजस्काय असंख्येयगुण, उनसे प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकाय असंख्येयगुण, उनसे बादर निगोद असंखेयगुण, उनसे बादर पृथ्वीकाय असंखेयगुण, उनसे बादर अपकाय, बादर वायुकाल क्रमशः असंखेयगुण, उनसे बादर वनस्पतिकायिक अनन्तगुण, उनसे बादर विशेषाधिक। (२) अपर्याप्त बादरों का अल्पबहुत्व औषिकसूत्र के अनुसार ही जानना चाहिए-जैसे सबसे थोड़े बादर त्रसकायिक अपर्याप्त, उनसे बादर तेजस्कायिक अपर्याप्त असंख्येयगुण इत्यादि औधिक क्रम। (३) पर्याप्त बादरों का अल्पबहुत्वसबसे थोड़े बादर तेजस्कायिक पर्याप्त, उनसे बादर त्रसकायिक पर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे
SR No.003455
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size5 MB
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