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________________ १०४] [जीवाजीवाभिगमसूत्र कल्पों के नाम देवों की संख्या देवी संख्या देव स्थिति देवी ८०० मध्यम पर्षद बाह्य पर्षद १२,००० १४,००० ६ पल्यो . ५ पल्यो . कुछ अधिक ४ प. ३ प. ७०० सनत्कुमार आभ्यन्तर पर्षद मध्यम पर्षद बाह्य पर्षद ८,००० १०,००० १२,००० देवियां नहीं साढ़े चार सागरो. ५ प. नहीं है देवियां नहीं साढ़े चार सागरो. ४ प. " देवियां नहीं साढ़े चार सागरो. ३ प. " ४. माहेन्द्र आभ्यन्तर पर्षद मध्यम पर्षद बाह्य पर्षद ६,००० ८,००० १०,००० देवियां नहीं साढ़े चार सागरो. ७ प. देवियां नहीं साढ़े चार सागरो. ६ प. देवियां नहीं साढ़े चार सागरो. ५ प.. ". " ४,००० ६,००० ८,००० देवियां नहीं सा.५ प. देवियां नहीं साढ़े आठ सा. ४ प. देवियां नहीं साढ़े आठ सा. ३ प. ब्रह्म आभ्यन्तर पर्षद मध्यम पर्षद बाह्य पर्षद ६. लांतक आभ्यन्तर पर्षद मध्यम पर्षद बाह्य पर्षद २,००० ४,००० ६,००० देवियां नहीं १२ सागरो. ७ प. देवियां नहीं १२ सागरो. ६ प. देवियां नहीं १२ सागरो. ५ प. ७. महाशुक आभ्यन्तर पर्षद मध्यम पर्षद बाह्य पर्षद १,००० २,००० ४,००० देवियां नहीं साढ़े १५ सा. ५ पल्यो. देवियां नहीं साढ़े १५ सा. ४ पल्यो. देवियां नहीं साढ़े १५ सा. ३ पल्यो. " ८. सहस्त्रार आभ्यन्तर पर्षद मध्यम पर्षद बाह्य पर्षद ५०० १,००० २,००० देवियां नहीं साढ़े १७ सा.७ पल्यो. देवियां नहीं साढ़े १७ सा. ६ पल्यो. देवियां नहीं साढ़े १७ सा.५ पल्यो.
SR No.003455
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size5 MB
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