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________________ तृतीय प्रतिपत्ति : जम्बूद्वीप के द्वारों की संख्या] [३७९ मुत्ताजालंतररुसिता हेम जाव गयदंत समाणा पण्णत्ता। तेसु णं वइरामएस नागदतएसु बहवे रपयामया सिक्कया षषणात्ता। तेसु णं रययामाएसु सिक्कएसु बहबे वायकरगा पण्णत्ता। ते वायकरगा किण्हसुत्तसिक्कगबत्थिया जाव सुक्किलसुससिक्कगवत्थिया सव्वे घेरुलियामया अच्छा जाच पडिरूवा। तेसिं ण तोरणाणं पुरओ दो-दो चित्ता रयणकरंडगा पण्णत्ता। से जहाणामए रपणो चाउरंतचक्कवट्टिस्स चित्ते रयणकरंडे वेरुलियमणिफालिय पड़लपच्चोयडे साए पभाए पएसे सध्यओ समता ओभासइ उज्जौबेड़ तावेइ पभासेड़, एवामेव ते चित्तरयणकरंडगा पपणत्ता बेरुलिषपड़लपच्चोयाडसाए पभाए ते पएसे सव्वओ समंता ओभासेइ। तेसिंणं तोरणा पुरओ दो दो हयकंठगा जाब दो दो उसभकंठगा पण्पात्ता सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसु णं हयकंठएसु जाव उसभकठएसु दो दो पुष्फचंगेरीओ, एवं मल्लगंधचुपपावत्थाभरणचंगरीओ सिद्धत्थचंगेरीओ लोमहत्थचंगेरीओ सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाब पडिरूवाओ। तेसिं थे तोरणाणं पुरओ दो दो पुष्फपड़लाई जाव लोमहत्थपडलाई सव्वरयणामयाई जाब पडिरूवाई। तेसिंणं तोरणाणं पुरओ दी दो सीहासणाई पण्णत्ताई। तेसिंणं सीहासणाणं अयमेयारूवे वपणाखासे पणणते तहेव जाब पासाईया ४। तेसिं थे तोरपाणं पुरओ दो दो रुप्पच्छदा छत्ता पण्णत्ता, ते णं छत्ता बेरुलिपभिसंतविमलदंडाजंबूपायकनिका बइरसंधी मुत्ताजालपरिगया अट्ठसहस्सवरकंचणसलागा दहरमलग्रसुगंधी सब्बोडअसुरभिसीयलच्छाया मंगलभत्तिचित्ता चंदागीरोवमा वट्टा। तेर्सि णंतोरणार्ण पुरओ दो दो चामराओ पण्णत्ताओ।ताओणंचामराओ'चंदप्पभवइरबेरुलिय-नानामणिरयणखचियदंडाओ संखंक-कुंद-दगरय-अमयमहिय-फेणपुंजसपिणकासाओ सुहुमरययदीहबालाओ सव्वरयणामयाओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तैसिं ण तोरणाणं पुरओ दो दो तिल्लसमुग्गा कोट्ठसमुग्गा पत्तसमुग्गा चीयसमुग्गा तपरसमुग्गा एलासमुग्गा हरियालसमुग्गा मणोसिलासमुग्गा अंजणसमुग्गा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिलया। [१३१] (२) उन तोरणों के आगे वो दी सुप्रतिष्ठक (शृंगारदान) कहे गये हैं। वे सुप्रतिष्ठक्क नाना प्रकार के पांच वर्णों की प्रसाधन-सामग्री और सर्व औषधियों से परिपूर्ण लगते हैं, वे सर्वरत्नमय, स्वच्छ यावत् प्रतिरूप हैं। १. णाणामणिकणगरयणविमलमहरिहतवधिज्जुज्जल विचित्तदंडाओ चिल्लियाओ इति पाठान्तरम् ।
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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