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________________ ततीय प्रतिपत्ति: जम्बूद्वीप के द्वारों की संख्या] [३७७ तेणं तोरणा णाणामणिमया तहेव जाव अट्ठट्ठमंगलगाय छत्तातिछत्ता।तेसिंणं तोरणाणं पुरओ दो दो सालभंजियाओ पण्णत्ताओ,जहेवणं हेट्ठा तहेव।तेसिंणंतोरणाणं पुरओदो दो नागदंतगा पण्णत्ता, ते णं णागदंतगा मुत्ताजालरुसिया तहेव। तेसु णं णागदंतएसु बहवे किण्हे सुत्तवट्टवग्धारितमल्लदामकलावा जाव चिटुंति। तेसिंणंतोरणाणं पुरओ दो दो हयसंघाडगा पण्णत्ता सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। एवं पंतीओ, वीहीओ, मिहुणगा; दो दो पउमलयाओ जाव पडिरूवाओ।तेसिंणंतोरणाणं पुरओ अक्खयसोवत्थिया सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो चंदणकलसा वरकमलपइट्ठाणा तहेव सव्वरयणामया जाव पडिरूवा समणाउसो ! तेसिंणंतोरणाणं पुरओ दो दो भिंगारगा पण्णत्ता, वरकमलपइट्ठाणा जाव सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा महया महया मत्तगयमुहागिइसमाणा पण्णत्ता समणाउसो ! तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो आयंसगा पण्णत्ता, तेसिं णं आयंसगाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते, तं जहा-तवणिज्जमया पगंठगा वेरुलियमया छरुहा ( थंभया), वइरामया वरंगाणाणामणिमया वलक्खा अंकमया मंडला अणोग्घसियनिम्मलासाए छायाए सव्वओ चेव समणुबद्धा चंदमंडलपडिणिकासा महया महया अद्धकायसमाणा पण्णत्ता समणाउसो ! तेसिं ण तोरणाणं पुरओ दो दो वइरणाभे १ थाले पण्णत्ते; ते णं थाला अच्छतिच्छडियसालितंदुलनहसंदट्ठ बहुपडिपुण्णा इव चिटुंति सव्वजंबूणदमया अच्छा जाव पडिरूवा महया महया रहचक्कसमाणा समणाउसो ! तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो पातीओ पण्णत्ताओ। ताओ णं पातीओ अच्छोदयपडिहत्थाओ णाणाविहपंचवण्णस्स फलहरितगस्स बहुपडिपुण्णाओ विव चिटुंति सव्वरयणामईओ जाव पडिरूवाओ महया महया गोकलिंजगचक्कसमाणाओ पण्णत्ताओ समणाउसो! __ [१३१] (१) उस विजयद्वार के दोनों ओर दोनों नैषधिकाओं में दो दो तोरण कहे गये हैं। वे तोरण नाना मणियों के बने हुए हैं इत्यादि वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिए यावत् उन पर आठ-आठ मंगलद्रव्य और छत्रातिछत्र हैं। उन तोरणों के आगे दो दो शालभंजिकाएँ (पुत्तलियां) कही गई हैं। जैसा वर्णन उन शालभंजिकाओं का पूर्व में किया गया है, वैसा ही यहाँ कह लेना चाहिए। उन तोरणों के आगे दो दो नागदंतक (खूटियां) हैं। वे नागदंतक मुक्ताजाल के अन्दर लटकती हुई मालाओं से युक्त हैं आदि वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिए। उन नागदंतकों में बहुत सी काले सूत में गूंथी हुई विस्तृत पुष्पमालाओं के समुदाय हैं यावत् वे अतीव शोभा से युक्त हैं। उन तोरणों के आगे दो दो घोड़ो के जोड़े (संघाटक) कहे गये हैं जो सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ हैं यावत् १. 'वइरामए थाले' ऐसा पाठ भी कहीं कहीं है । वज्ररत्न के थाल हैं।
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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