SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 301
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५२ ] (८) आठवां प्रस्तट (९) नौवां प्रस्तट (१०) दसवां प्रस्तट (११) ग्यारहवां प्रस्तट (१२) बारहवां प्रस्तट (१३) तेरहवां प्रस्तट प्रस्तट पहला प्रस्तट दूसरा तीसरा चौथा पांचवां छठा "" सातवां आठवां नौवां दसवां ग्यारहवां प्रस्तट "" "" " "" "" "" "" "" प्रथम प्रस्तट द्वितीय तृतीय " " "" सागरोपम के चार दशभाग सागरोपम के पांच दशभाग सागरोपम के छह दशभाग सागरोपम के सात दशभाग सागरोपम के आठ दशभाग सागरोपम के नौ दशभाग २. शर्कराप्रभा की प्रस्तट के अनुसार स्थिति जघन्य एक सागरोपम १/ ११ १/ ११ ११ 21 ११ २१०/ २. ११ २/ ११ ११ ११ २७/ ११ २/ ११ "? जघन्य " " "" " "" "" " "" "" ३. बालुकाप्रभा ३ सागरोपम ३%, ३. ९ "" "" [जीवाजीवाभिगमसूत्र सागरोपम के पांच दशभाग सागरोपम के छह दशभाग सागरोपम के सात दशभाग सागरोपम के आठ दशभाग सागरोपम के नौ दशभाग सागरोपम के दस दशभाग अर्थात् पूरा एक सागरोपम उत्कृष्ट एक सागरोपम और /, सागरोपम १%, ११ १%, १% ११ ११ ११% ११ ११ २/, २%. ११ ११ " ३%, ३%, " "" "" "" " २%, २/ " ३ सागरोपम पूर्ण "" " उत्कृष्ट सागरोपम "" "
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy