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________________ तृतीय प्रतिपत्ति : अवगाहनाद्वार] [२३५ (३) तीसरी बालुकाप्रभा में भवधारणीय उत्कृष्ट ३१ धनुष १ हाथ और उत्तरवैक्रिय ६२॥ धनुष (४) चौथी पंकप्रभा में उत्कृष्ट भवधारणीय ६२ ।। धनुष है और उत्तरवैक्रिय १२५ धनुष है। (५) पांचवीं धूमप्रभा में उत्कृष्ट भवधारणीय १२५ धनुष है और उत्तरवैक्रिय २५० धनुष है। (६) छठी तमःप्रभा में उत्कृष्ट भवधारणीय २५० धनुष है और उत्तरवैक्रिय पांच सौ धनुष है। (७) सातवीं तमस्तमःप्रभा में उत्कृष्ट भवधरणीय पांच सौ धनुष है और उत्तरवैक्रिय एक हजार धनुष है। प्रत्येक नरकपृथ्वी की उत्कृष्ट भवधारणीय अवगाहना पूर्व पृथ्वी से दुगनी-दुगनी है तथा प्रत्येक पृथ्वी के नैरयिकों की भवधारणीय अवगाहना से उनकी उत्तरवैक्रिय अवगाहना दुगुनी-दुगुनी है। निम्न यंत्र से अवगाहना जानने में सहूलियत होगी अवगाहना का यंत्र पृथ्वी का नाम उत्तरवैक्रिय भवधारणीय जघन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट १. रत्नप्रभा अंगुल का असंख्यातवां ७ धनुष ३ हाथ ६अंगु. अंगुल का १५ध २॥ हाथ २. शर्कराप्रभा भाग १५ धनुष २॥ हाथ सं. भाग ३१ ध. १ हाथ ३. बालुकाप्रभा ३१ ध. १ हाथ ६२ ध. २ हाथ ४. पंकप्रभा ६२ ध.२ हाथ १२५ धनुष ५. धूमप्रभा १२५ धनुष २५० धनुष ६. तमःप्रभा २५० धनुष ५०० धनुष ७. तमस्तमःप्रभा ५०० धनुष १००० धनुष रत्नप्रभादि के प्रस्तटों में अवगाहना का प्रमाण इस प्रकार है-रत्नप्रभा के १३ प्रस्तट हैं। पहले प्रस्तट में उत्कृष्ट अवगाहना ३ हाथ की है। इसके बाद प्रत्येक प्रस्तट में ५६॥ अंगुल की वृद्धि कहनी चाहिए। इस मान से १३ प्रस्तटों की अवगाहना निम्न हैरत्नप्रभा के प्रस्तटों में अवगाहना अंगुल प्रस्तट
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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