________________
१९०]
[जीवाजीवाभिगमसूत्र
उनसे पूर्वविदेह-पश्चिमविदेह कर्मभूमिक मनुष्यपुरुष दोनों संख्यातगुण हैं, उनसे पूर्वविदेह-पश्चिमविदेह कर्मभूमिक मनुष्यस्त्रियां दोनों संख्यातगुण हैं, उनसे अनुत्तरोपपातिक देवपुरुष असंख्यातगुण हैं, उनसे उपरिम प्रैवेयक देवपुरुष संख्यातगुण हैं, उनसे यावत् आनतकल्प के देवपुरुष यथोत्तर संख्यातगुण हैं, उनसे अधःसप्तमपृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुण हैं, उनसे छठी पृथ्वी के नैरयिक नपुसंक असंख्यातगुण हैं, उनसे सहस्रारकल्प के देवपुरुष असंख्यातगुण हैं, उनसे महाशुक्रकल्प के देवपुरुष असंख्यातगुण हैं, उनसे पांचवीं पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुण हैं, उनसे लान्तककल्प के देवपुरुष असंख्यातगुण हैं, उनसे चौथी पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुण हैं, उनसे ब्रह्मलोककल्प के देवपुरुष असंख्यातगुण हैं, उनसे तीसरी पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुण हैं, उनसे माहेन्द्रकल्प के देवपुरुष असंख्यातगुण हैं, उनसे सनत्कुमारकल्प के देवपुरुष असंख्यातगुण हैं, उनसे दूसरी पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुण हैं, उनसे अन्तर्वीपिक अकर्मभूमिक मनुष्य नपुंसक असंख्यातगुण हैं, उनसे देवकुरु-उत्तरकुरु अकर्मभूमिक मनुष्य नपुंसक दोनों संख्यातगुण हैं, इस प्रकार यावत् विदेह तक यथोत्तरे संख्यातगुण कहना चाहिए, उनसे ईशानकल्प में देवपुरुष असंख्यातगुण हैं, उनसे ईशानकल्प में देवस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, उनसे सौधर्मकल्प में देवपुरुष संख्यातगुण हैं, उनसे सौधर्मकल्प में देवस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, उनसे भवनवासी देवपुरुष असंख्यातगुण हैं, उनसे भवनवासी देवस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, उनसे इस रत्मप्रभापृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुण हैं, उनसे खेचर तिर्यक्योनिक पुरुष संख्यातगुण हैं, उनसे खेचर तिर्यस्त्रियां संख्यातगुणी हैं, उनसे स्थलचर तिर्यक्योनिक पुरुष संख्यातगुण हैं, उनसे स्थलचर तिर्यक्योनिक स्त्रियां संख्यातगुणी हैं,