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[जीवाजीवाभिगमसूत्र
जहन्नेणं दसवाससहस्साइं, उक्कोसेणं अद्ध पंचमाइं पलिओवमाइं। एवं असुरकुमारभवणवासि-देवित्थियाए, नागकुमार-भवणवासि-देवित्थियाए वि जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं देसूणाई पलिओवमाइं,एवं सेसाण वि जाव थणियकुमाराणं।
वाणमंतरीणं जहन्नेणं दसवाससहस्साइं उक्कोसं अद्धपलिओवर्म। जोइसियदेवित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता?
गोयमा ! जहन्नेणं पलिओवमं अट्ठभागं उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासाएहिं वाससहस्सेहिं अब्भहियं।
चंदविमाण-जोतिसिय देवित्थियाए जहन्नेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं तं चेव।
सूरविमाण-जोतिसिय-देवित्थियाए जहन्नेण चउभागपलिओवम उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिं अब्भहियं।
गहविमाण-जोतिसिय-देवित्थीणंजहन्नेणंचउभाग पलिओवमं उक्कोसेणंअद्धपलिओवर्म।
णक्खत्तविमाण-जोतिसिय-देवित्थीणं जहणणेणं चउभागपलिओवम उक्कोसेणं चउभागपलिओवर्मसाइरेगे।
ताराविमाण-जोतिसिय-देवित्थियाए जहन्नेण अट्ठभागंपलिओवमं उक्कोसेणं सातिरेगं अट्ठभागपलिओवमं।
वेमाणिय-देवित्थियाए जहन्नेणं पलिओवम उक्कोसेणं पणपन्नं पलिओवमाई। सोहम्मकप्पवेमाणिय-देवित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमं उक्कोसेणं सत्त पलिओवमइं। . ईसाण-देवित्थीणं जहण्णेणं सातिरोगं पलिओवमं उक्कोसेणं णव पलिओवमाइं। [४७] (३) हे भगवन् ! देवस्त्रियों की कितने काल की स्थिति है ? गौतम ! जघन्य से दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट से पचपन पल्योपम की स्थिति कही गई है। भगवन् ! भवनवासीदेवस्त्रियों की कितनी स्थिति है ? गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट साढे चार पल्योपम ।
इसी प्रकार असुरकुमार भवनवासी देवस्त्रियों की, नागकुमार भवनवासी देवस्त्रियों की जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट देशोनपल्योपम की स्थिति जाननी चाहिए। इसी प्रकार शेष रहे सुपर्णकुमार आदि यावत् स्तनितकुमार देवस्त्रियों की स्थिति जाननी चाहिए।
वानव्यन्तरदेवस्त्रियों की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष उत्कृष्ट स्थिति आधा पल्योपम की है। भंते ! ज्योतिष्कदेवस्त्रियों की स्थिति कितने समय की कही गई है ?
गौतम ! जघन्य से पल्योपम का आठवां भाग और उत्कृष्ट से पचास हजार वर्ष अधिक आधा पल्योपम है।
चन्द्रविमान-ज्योतिष्कदेवस्त्रियों की जघन्य स्थिति पल्योपम का चौथा भाग और उत्कृष्ट स्थिति वही