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उपपात आदि सभाएं
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ही इस उपपात-सभा का वर्णन समझना चाहिए। मणिपीठिका की लम्बाई-चौड़ाई आठ योजन की है और सुधर्मासभा में स्थित देवशैया के समान यहां की शैया का ऊपरी भाग आठ मंगलों, ध्वजाओं और छत्रातिछत्रों से शोभायमान हो रहा है।
विवेचन— सुधर्मासभा के समान इस उपपात-सभा के वर्णन करने के संकेत का आशय यह है कि
सुधर्मासभा के समान ही इस उपपात-सभा के लिए भी पूर्वादि दिग्वर्ती तीन द्वारों, मुखमण्डप प्रेक्षागृहमण्डप, चैत्यस्तूप, चैत्यवृक्ष, माहेन्द्रध्वज एवं नन्दा-पुष्करिणी से लेकर उल्लोक तक का तथा मध्यभाग में स्थित मणिपीठिका और उस पर विद्यमान देवशैया एवं ऊपरी भाग में आठ–आठ मंगलों, ध्वजाओं और छत्रों का वर्णन करना चाहिए।
१८१– तीसे णं उववायसभाए उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं महेगे हरए पण्णत्ते, एगं जोयणसयं आयामेणं, पण्णासं जोयणाई विक्खंभेणं, दस जोयणाई उव्वेहेणं, तहेव से णं हरए एगाए पउमवरवेइयाए, एगेण वणसंडेण सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते । तस्स णं हरयस्स तिदिसं तिसोवाणपडिरूवगा पन्नत्ता । . १८१- उस उपपातसभा के उत्तर-पूर्व दिग्भाग में एक विशाल हृद-जलाशय—सरोवर है। इस ह्रद का आयाम (लम्बाई) एक सौ योजन एवं विस्तार (चौड़ाई) पचास योजन है तथा गहराई दस योजन है। यह हृद सभी दिशाओं में एक पद्मवरवेदिका एवं एक वनखण्ड से परिवेष्टित—घिरा हुआ है तथा इस हद के तीन ओर अतीव मनोरम त्रिसोपान-पंक्तियां बनी हुई हैं।
१८२- तस्स णं हरयस्स उत्तरपुरस्थिमे णं एत्थ णं महेगा अभिसेगसभा पण्णत्ता, सुहम्मागमएणं जाव' गोमाणसियाओ मणिपेढिया सीहासणं सपरिवारं जाव दामा चिटुंति ।
तत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स सुबहु अभिसेयभंडे संनिक्खित्ते चिट्ठइ, अट्ठट्ठ मंगलगा तहेव ।
१८२– उस ह्रद के ईशानकोण में एक विशाल अभिषेकसभा है। सुधर्मा-सभा के अनुरूप ही यावत् गोमानसिकायें, मणिपीठिका, सपरिवार सिंहासन यावत् मुक्तादाम हैं इत्यादि इस अभिषेक सभा का भी वर्णन जानना चाहिए।
___ वहां सूर्याभदेव के अभिषेक योग्य साधन सामग्री से भरे हुए बहुत-से भाण्ड (पात्र आदि सामग्री) रखे हैं तथा इस अभिषेक-सभा के ऊपरी भाग में आठ-आठ मंगल आदि सुशोभित हो रहे हैं।
१८३- तीसे णं अभिसेगसभाए उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं अलंकारियसभा पण्णत्ता, जहा सभा सुधम्मा मणिपेढिया अट्ठ जोयणाई, सीहासणं सपरिवारं । तत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स सुबहु अलंकारियभंडे संनिक्खित्ते चिटुंति, सेसं तहेव ।
१८३– उस अभिषेकसभा के ईशान कोण में एक अलंकार-सभा है। सुधर्मासभा के समान ही इस अलंकार
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