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ॐ अर्ह
जिनागम-ग्रन्थमाला : ग्रन्थाङ्क - १३
[परम श्रद्धेय गुरुदेव पूज्य श्री जोरावरमलजी महाराज की पुण्यस्मृति में आयोजित]
चतुर्दशपूर्वधरस्थविरप्रणीत प्रथम उपांग
| औपपातिकसूत्र
[मूल पाठ, हिन्दी अनुवाद, विवेचन, परिशिष्ट युक्त]
प्रेरणा उपप्रवर्तक शासनसेवी स्व. स्वामी श्री ब्रजलालजी महाराज
संयोजक तथा आद्य सम्पादक (स्व.) युवाचार्य श्री मिश्रीमलजी महाराज 'मधुकर'
अनुवादक-विवेचक डा.छगनलाल शास्त्री, काव्यतीर्थ एम.ए., पी.एच.डी., विद्यामहोदधि
प्रकाशक
श्री आगमप्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान)