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औपपातिकसूत्र : प्रथम संस्करण के अर्थसहयोगी
श्रीमान् दुलीचन्दजी सा. चोरड़िया
( संक्षिप्त जीवन-रेखा )
नोखा (चांदावतों का) ग्राम का बृहत् चोरड़िया - परिवार अनेक दृष्टियों से स्थानकवासी समाज के लिए आदर्श कहा जा सकता है। इस परिवार के विभिन्न उदारहृदय श्रीमंतों की स्व. पूज्य स्वामी श्री हजारीमलजी म.सा. के प्रति अनन्य अनुपम श्रद्धा रही है और उसी प्रकार शासनसेवी उपप्रवर्तक स्वामी श्री ब्रजलालजी म.सा. तथा श्रमणसंघ के युवाचार्य विज्ञवर श्री मिश्रीमलजी म.सा. के प्रति भी वैसा ही प्रगाढ़ भक्तिभाव है। धर्मप्रेमी श्रीमान् दुलीचन्दजी सा. चोरड़िया के विषय में भी यहीं तथ्य है। आपका भी जीवन उल्लिखित मुनिवरों की सेवा में समर्पित है।
सेठ दुलीचंदजी सा. चोरड़िया का जन्म वि.सं. १९८९ में नोखा चांदावतां में हुआ। श्रीमान् जोरावरमलजी सा. चोरड़िया कामदार नोखा के आप सुपुत्र हैं । श्रीमती फूलकुंवरबाई की कुक्षि को आपने धन्य बनाया ।
अठारह वर्ष की वय में आप मद्रास पधार गए और व्यवसाय में संलग्न हो गए। अपने बुद्धिकौशल एवं प्रबल पुरुषार्थ से व्यवसाय में अच्छी सफलता प्राप्त की।
आपकी सुपुत्री का विवाह मालेगाँव निवासी प्रसिद्ध धर्मप्रेमी श्रीमान् किशनलालजी मालू के सुपुत्र श्री गौतमचन्दजी के साथ हुआ है। आपके चार सुपुत्र हैं—
१. श्री धरमचन्दजी, २. श्री किशोरकुमारजी, ३. श्री राजकुमारजी, ४. श्री सुरेशकुमारजी ।
ज्येष्ठतम सुपुत्र श्री धरमचन्दजी का विवाह इन्दौर के सुप्रसिद्ध व्यवसायी सेठ श्री बादलचन्दजी मेहता की तथा श्री किशोरकुमारजी का विवाह सुप्रसिद्ध समाजसेवी सेठ श्री लालचन्दजी मरलेचा की सुपुत्री के साथ हुआ है। राजकुमारजी तथा सुरेशचन्द्रजी अभी विद्याध्ययन कर रहे हैं।
मद्रास की प्राय: सभी सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं के साथ आपका और आपके परिवार का सम्बन्ध है और उनमें आपका महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। धार्मिक कार्यों में आप अग्रणी रहते हैं। धर्म और शासन के प्रति आपकी भक्ति सराहनीय है ।
विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि श्री चोरड़ियाजी धन-जन से, सभी ओर से समृद्ध होने पर भी, अत्यन्त विनम्र हैं। आपका अन्तःकरण बहुत भद्र है । अहंकार आपके अन्तस् को छू नहीं सका है।
प्रस्तुत आगम के प्रकाशन में आपका विशिष्ट आर्थिक सहयोग है। अतएव समिति इसके लिए आभारी है और आशा करती है कि भविष्य में भी आपका सहयोग प्राप्त रहेगा।
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मंत्री
श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर