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________________ पञ्चम अध्ययन बृहस्पतिदत्त प्रस्तावना पंचमस्स उक्कखेवो—जइ णं भन्ते। पांचवें अध्ययन का उत्क्षेप-प्रस्तावना पूर्ववत् जान लेना चाहिए। अर्थात् जम्बूस्वामी ने प्रश्न किया कि श्रमण भगवान् महावीर ने दुःखविपाक के पाँचवें अध्ययन का क्या अर्थ कहा है? तब सुधर्मा स्वामी ने कहा १–एवं खलु, जम्बू! तेणं कालेणं तेणं समएणं कोसंबी णामं णयरी होत्था। रिद्धस्थिमियसमिद्धा। बाहिं चंदोतरणे उजाणे। सेयभद्दे जक्खे। १—हे जम्बू! उस काल और उस समय में कौशाम्बी नाम की एक नगरी थी, जो भवनादि के आधिक्य से युक्त, स्वचक्र-परचक्र के भय से मुक्त तथा समृद्धि से समृद्ध थी। उस नगरी के बाहर चन्द्रावतरण नामक उद्यान था। उसमें श्वेतभद्र नामक यक्ष का आयतन था। २–तत्थ णं कोसंबीए नयरीए सयाणीए नामं राया होत्था। महया० । मियावई देवी। तस्स णं सयाणीयस्स पुत्ते मियादेवीए अत्तए उदायणे नामं कुमारे होत्था, अहीणपडिपुण्णपंचिंदियसरीरे, जुवराया। तस्स णं उदायणस्स कुमारस्स पउमावई नामं देवी होत्था। २—उस कौशम्बी नगरी में शतानीक नाम का राजा राज्य करता था। जो हिमालय र्वत आदि के समान महान् और प्रतापी था। उसके मृगादेवी नाम की रानी थी। उस शतानीक राजा का पुत्र और रानी मृगादेवी का आत्मज उदयन नाम का एक कुमार था जो सर्वेन्द्रिय सम्पन्न अथ च युवराज पद से अलंकृत था। उस उदयन कुमार की पद्मावती नाम की देवी पत्नी थी। ३ तस्स णं सयाणीयस्स सोमदत्ते नामं पुरोहिए होत्था, रिउव्वेय-यज्जुव्वेय-सामवेयअथव्वणवेयकुसले। तस्स णं सोमदत्तस्स पुरोहियस्स वसुदत्ता नामं भारिया होत्था। तस्स णं सोमदत्तस्स पुत्ते वसुदत्ताए अत्तए बहस्सइदत्ते नामं दारए होत्था। अहीणपडिपुण्णपंचिंदियसरीरे। ३—उस शतानीक राजा का सोमदत्त नामक पुरोहित था, जो ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का पूर्ण ज्ञाता था। उस सोमदत्त पुरोहित के वसुदत्ता नाम की भार्या थी, तथा सोमदत्त का पुत्र एवं वसुदत्ता का आत्मज बृहस्पतिदत्त नाम का सर्वाङ्गसम्पन्न एक सुन्दर बालक था। ४ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए। तेणं कालेणं तेणं समएणं
SR No.003451
Book TitleAgam 11 Ang 11 Vipak Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_vipakshrut
File Size5 MB
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