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प्रकाशकीय
अतीव प्रसन्नता के साथ श्रागमप्रेमी स्वाध्यायशील पाठकों के कर-कमलों में भागम- बत्तीसी के दसवें अंग 'प्रश्नव्याकरण' का यह द्वितीय संस्करण समर्पित किया जा रहा है ।
प्रस्तुत अंग का अनुवाद श्रमण संघ के आचार्य स्व. पूज्य श्री श्रानन्दऋषिजी म. सा. के विद्वान् संत श्री प्रवीणऋषिजी म. ने किया है । इसके सम्पादन - विवेचन में स्वर्गीय पं. श्री शोभाचन्द्रजी भारिल्ल का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है ।
श्रमण संघ के युवाचार्य स्वर्गीय पूज्य श्री मिश्रीमलजी म. 'मधुकर' के प्रबल प्रयास एवं प्रभाव के कारण यह विराट् श्रुतसेवा का कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ । उनके प्रेरणादायक मार्गदर्शन के प्रति आभार प्रकट करने के लिए शब्द-सागर के समस्त शब्द भी कम पडेंगे ।
श्रद्धेय पूज्य युवाचार्यश्री 'मधुकर' मुनिजी म. सा. के आकस्मिक देहावसान के पश्चात् श्रध्यात्मयोगिनी परमविदुषी महासतीजी श्री उमरावकु'वरजी म. सा. 'अर्चना' का पथ-प्रदर्शन हमारे लिए प्रशस्त सिद्ध हो रहा है । हम उनके प्रति बहुत कृतज्ञ हैं । प्रागम-बत्तीसी के इस भगीरथी कार्य में अन्य अनेक समर्थ श्रमण श्रमणीवृन्द एवं विद्वानों का योगदान व सहयोग प्राप्त हुआ है और इस महान् कार्य की सम्पन्नता पर ब्यावर नगर में वसंत पंचमी, माघ शुक्ला पंचमी, वि. सं. २०४९ तद्नुसार २८ जनवरी १९९३ के दिन 'आगम संपूर्ति - संस्तुति समारोह' का ऐतिहासिक आयोजन किया गया । इस अवसर पर जैन श्रमण संघ की विभूतियों का समागम अद्वितीय था ।
आगम-वाङमय को सर्वजन सुलभ कराने की दृष्टि से अनेक ग्रन्थों का पुनर्मुद्रण कराया जा रहा है | प्रश्नव्याकरण का यह द्वितीय संस्करण इसी कड़ी में पुनर्मुद्रित किया जा रहा है । आशा है यह संस्करण पाठकों के लिए विशेष उपयोगी रहेगा ।
श्रागमप्रेमी स्वाध्यायशील सज्जनों से निवेदन है कि श्रागम वाङ् मय के प्रचार प्रसार के पवित्र अनुष्ठान में अपना सक्रिय सहयोग प्रदान करें । हम उन सभी महानुभावों के आभारी हैं जिनका प्रत्यक्ष परोक्ष बौद्धिक और आर्थिक सहयोग हमें प्राप्त हो रहा है ।
सायरमल चौरड़ियां महामन्त्री
श्री श्रागमप्रकाशन समिति, ब्यावर ( राजस्थान )
रतनचन्द मोदो
कार्यवाहक अध्यक्ष
अमरचन्द मोदी मंत्री