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The term "Antakṛddasha Sanlehanāe" means a special type of austerity performed in the final moments of life, which aims to reduce the body and the kṣayās (passions).
2-10 Ajjhayanāni 10- Just as Gautama is described, so too should the remaining nine Ajjhayanāni be understood: Samudde, Sāgare, Gambhire, Thimie, Ayale, Kampille, Akkhobe, Paseṇati, and Viṇhue. All of them had Andhakavṛṣṇi as their father and Dhāriṇī as their mother. Their descriptions are all similar. In this way, the first group, consisting of ten Ajjhayanāni, has been described.
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[अन्तकृद्दशा संलेहणाए-शब्द का अर्थ होता है-अन्तिम समय में किया जाने वाला शरीर और कषाय आदि को कृश करने वाला तप-विशेष ।
२-१० अज्झयणाणि १०-एवं जहा गोयमे तहा सेसा। वही पिया, धारिणी माता, समुद्दे, सागरे, गंभीरे, थिमिए, अयले, कंपिल्ले, अक्खोभे, पसेणति, विण्हुए, एए एगगमा। पढमो वग्गो, दस अज्झयणा पण्णत्ता।
२-१० अध्ययन मूलार्थ-जिस प्रकार गौतम का वर्णन किया गया है, उसी प्रकार शेष समुद्र, सागर, गम्भीर, स्तिमित, अचल, कांपिल्य, अक्षोभ, प्रसेनजित और विष्णु, इन नव अध्ययनों का अर्थ भी समझ लेना चाहिए। सबके पिता अन्धकवृष्णि थे। माता धारिणी थी। सब का वर्णन एक जैसा है। इस प्रकार दस अध्ययनों के समुदाय रूप प्रथम वर्ग का वर्णन किया गया है।"