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________________ चौदहवां अध्ययन : तेतलिपुत्र] [३५५ ५-तए णं पोट्टिला दारिया अन्नया कयाइण्हाया सव्वालंकारविभूसिया चेडियाचक्कवाल संपरिवुडा उप्पिंपासायवरगया आगासतलगंसि कणगमएणं तिंदूसएण कीलमाणी कीलमाणी विहरइ। एक बार किसी समय पोट्टिला दारिका (लड़की) स्नान करके और सब अलंकारों से विभूषित होकर, दासियों के समूह से परिवृत होकर, प्रासाद के ऊपर रही हुई अगासी की भूमि में सोने की गेंद से क्रीड़ा कर रही थी। ६-इमंचणं तेयलिपुत्ते अमच्चे पहाए आसखंधवरगए महया भडचडगरआसवाहणियाए णिजायमाणे कलायस्स मूसियारदारगस्स गिहस्स अदूरसामंतेणं वीईवयइ। इधर तेतलिपुत्र अमात्य स्नान करके, उत्तम अश्व के स्कंध पर आरूढ होकर, बहुत-से सुभटों के साथ घुड़सवारी के लिए निकला। वह कलाद मूषिकारदारक के घर के कुछ समीप होकर जा रहा था। ७-तए णं से तेयलिपुत्ते मूसियारदारगगिहस्स अदूरसामंतेणं वीईवयमाणे वीईवयमाणे पोट्टिलं दारियं उप्पिं पासायवरगयं आगासतलगंसि कणगतिंदूसएणं कीलमाणिं पासइ, पासित्ता पोट्टिलाए दारियाए रूवे य जोव्वणे य लावण्णे य अज्झोव्वन्ने कोढुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-'एस णं देवाणुप्पिया! कस्स दारिया किंनामधेजा वा?' तएणं कोडुंबियपुरिसे तेयलिपुत्तं एवं वयासी-'एस णं सामी! कलायस्स मूसियारदारयस्सधूआ, भद्दाए अत्तया पोट्टिला नामंदारिया रूवेण यजोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा।' ___ उस समय तेतलिपुत्र ने मूषिकारदारक के घर के कुछ पास से जाते हुए प्रासाद की ऊपर की भूमि पर अगासी में सोने की गेंद से क्रीड़ा करती पोट्टिला दारिका को देखा। देखकर पोट्टिला दारिका के रूप, यौवन और लावण्य में यावत् अतीव मोहित होकर कौटुम्बिक पुरुषों (सेवकों) को बुलाया और उनसे पूछादेवानुप्रियो! यह किसकी लड़की है ? इसका नाम क्या है ? तब कौटुम्बिक पुरुषों ने तेतलिपुत्र से कहा-'स्वामिन्! यह कलाद मूषिकारदारक की पुत्री, भद्रा की आत्मजा पोट्टिला नामक लड़की है। रूप, लावण्य और यौवन से उत्तम है और उत्कृष्ट शरीर वाली है।' ८-तएणं से तेयलिपुत्ते आसवाहणियाओ पडिनियत्ते समाणे अभितरट्ठाणिज्जे पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-'गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! कलादस्स मूसियारदारगस्स धूयं भद्दाए अत्तयं पोट्टिलं दारियं मम भारियत्ताए वरेह।' __तए णं ते अभितरट्ठाणिज्जा पुरिसा तेयलिणा एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठाजाव करयलपरिग्गहियंदसणहं सिरसावत्तंमत्थए अंजलिं कटु एवं सामी!'तह त्तिआणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तेयलियस्स अंतियाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव कलायस्स मूसियारदारयस्स गिहे तेणेव उवागया।तए णं कलाए मूसियारदारए ते पुरिसे एज्जमाणे पासइ, पासित्ता हट्ठतुढे आसणाओ अब्भुढेइ, अब्भुट्टित्ता सत्तट्ठपयाइं अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता
SR No.003446
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Literature, & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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