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कामसूत्र
(४९) निमित्तज्ञान
ज्ञातासूत्र (७२) शकुनिरत (३२) स्त्रीलक्षण (३३) पुरुषलक्षण (३४) हयलक्षण (३५) गजलक्षण (३६) गोलक्षण (३७) कुक्कुटलक्षण (३८) छत्रलक्षण (३९) दण्ड
लक्षण (४०) असिलक्षण (४१) मसिलक्षण (४२) काकणीलक्षण
(५०) यंत्रमातृका (५१)धारणमातृका (५२) संपाठ्य (५३) मानसी काव्य क्रिया (५४) अभिधानकोष (५५) छन्द विज्ञान
(२१) आर्या (१५) मागधिका (२४) गाथा (२५) गीति (२६) श्लोक (१४) पुरः काव्य
(५६) क्रिया कल्प (५७) छलितक योग (५८) वस्त्र गोपन (५९) द्यूत विशेष (६०) आकर्ष क्रीडा
(१०) द्यूत (११) जनवाद (१२) पाशक (१३) अष्टापद
(६१) बालक्रीडन (६२) वैनयिका (६३) वैजयिका
(४६) व्यूह (४७) प्रतिव्यूह (५०) चक्रव्यूह (५१) गरुडव्यूह (५२) शकटव्यूह (५३) युद्ध (५४) नियुद्ध (५५) युद्धातियुद्ध (५६) दृष्टियुद्ध (५७) मुष्टियुद्ध (५८) बाहुयुद्ध (५९) लतायुद्ध (६०) इषुशास्त्र (६१) छरूप्रवाद (६२) धनुर्वेद (४४) स्कंधावारमनन
(६४) व्यायामिकी
पुरुषों की भांति महिलाओं की कलाओं का भी प्रस्तुत आगम में उल्लेख है। पर यहाँ उनके नाम नहीं बताये गये हैं। जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में महिलाओं की चौसठ कलाओं के नाम इस प्रकार प्राप्त होते हैं
(१) नृत्य (२) औचित्य (३) चित्र (४) वादित्र (५) मंत्र (६) तंत्र (७) ज्ञान (८) विज्ञान (९) दम्भ (१०) जलस्तंभ (११) गतिमान (१२) तालमान (१३) मेघवष्टि (१ (१५) आरामरोपण (१६) आकारगोपन (१७) धर्मविचार (१८) शकुनसार (१९) क्रियाकल्प (२०) संस्कृतजल्प
१. जम्बूद्वीप्रज्ञप्ति वृत्ति, २, पत्र १३९-२, १४०-१
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