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________________ राजगृह प्रथम अध्ययन में राजगृह नगर का भी उल्लेख है जहाँ पर भगवान् महावीर ने अनेक चातुर्मास किये थे और दो सौ से भी अधिक बार उनके वहाँ समवसरण लगे थे। राजगृह नगर को प्रत्यक्ष देवलोकभूत व अलकापुरी सदृश कहा है। तथागत बुद्ध भी अनेक बार राजगृह में आए थे। उन्होंने अपने धर्मप्रचार का केन्द्र बनाने का भी प्रयास किया था। भगवान् महावीर गुणशील, मण्डिकुच्छ और मुद्गरपाणि आदि उद्यानों में ठहरा करते थे, जबकि बुद्ध गृद्धकूट पर्वत, कलंदकनिवाप और वेणुवन में ठहरते थे। राजगृह नगर और उसके सन्निकट नारद ग्राम कुक्कुटाराम विहार', गृध्रकूट पहाड़ी यष्टिवन , उरुविल्वग्राम प्रभासवन' आदि बुद्ध धर्म से सम्बन्धित थे। राजगृह में एक बौद्ध-संगीति हुई थी। जब बिम्बसार बुद्ध का अनुयायी था तब बुद्ध ने राजगृह से वैशाली जाने की इच्छा व्यक्त की। तब राजा ने बुद्ध के लिए सड़क बनवायी और राजगृह से गंगा तक की भूमि को समतल करवाया। राजगृह के प्राचीन नाम गिरिव्रत, वसुमती २ बार्हद्रथपुरी ३ मगधपुर " वराह, वृषभ, ऋषिगिरी चैत्यक'५ बिम्बसारपुरी और कुशाग्रपुर थे। बिम्बसार के शासनकाल में राजगृह में आग लग जाने से वह जल गई इसीलिए राजधानी हेतु नवीन राजगृह का निर्माण करवाया। युवानच्वाङ् का अभिमत है कि कुशागारपुर या कुशाग्रपुर आग में भस्म हो जाने से राजा बिम्बसार श्मशान में गये और नये राजगृह का निर्माण करवाया। फाह्यान का मानना है नये नगर का निर्माण अजातशत्रु ने करवाया, न कि बिम्बसार ने। चीनी यात्री ह्वेनसांग जब भारत आया था तो वह राजगृह में भी गया था, पर महावीर और बुद्ध युग का विराट् वैभव उस समय नहीं था।८ ___ महाभारत में राजगृह को पाँच पहाड़ियों से परिवेष्टित कहा है (१) वैराह (२) वाराह (३) वृषभ (४) ऋषिगिरि और (५) चैत्यगिरि। फाह्यान ने भी इस सत्य तथ्य को स्वीकार किया। युवानच्वाङ्ग का भी यही अभिमत है। गौतम बुद्ध के समय राजगृह की परिधि तीन मील के लगभग थी। राजनीति के केन्द्र के साथ ही वह धार्मिक केन्द्र भी था। महाभारत के राजगृह की पहाड़ियों को सिद्धों, यतियों और मुनियों का शरण १. कल्पसूत्र ५-१२३ (क) व्याख्याप्रज्ञप्ति ७-४,५-९, २-५ (ख) आवश्यक ४७३/४९२/५१८ २. भगवान् महावीर एक अनुशीलन पृ. २४१-४३ ३. पच्चक्खं देवलोगभूआ एवं अलकापुरीसंकासा। ४. (क) ज्ञाताधर्मकथा पृ. ४७, (ख) दशाश्रुतस्कंध १०९ पृ. ३६४, (ग) उपासकदशा ८, पृ. ५१ ५. मज्झिमनिकाय सारनाथ पृ. २३४ (ख) मज्झिमनिकाय चलसकलोदायी सुत्तनत पृ. ३०५ ६. नेपालीज बुद्धिस्ट लिटरेचर पृ. ४५ ७. वही पृ. ९-१० ८. महावस्तु ४४१ ९. नेपालीज बुद्धिस्ट लिटरेचर पृ. १६६ १०. चुल्लवग्ग ११वां खन्धक ११. धम्मपद कामेंट्री ४३९-४० १२. रामायण १/३२/ ७ १ ३. महाभारत २४ से ४४ १४. वही २०-३० १५. पोलिटिकल हिस्ट्री ऑव ऐंश्येंट इंडिया पृ.७० १६. द लाइफ एण्ड वर्क ऑव बुद्धघोष, पृ. ८७ टिप्पणी १७. बील, द लाइफ ऑन युवानच्वाङ् पृ. ११३ पोर्जिटर ऐंश्येंट इण्डियन हिस्टोरिकल ट्रेडिशन पृ. १४९ १८. लेग्गे, फाहियान पृ.८० १९. महाभारत सभापर्व अध्याय ५४ पंक्ति १२० २०. फाहियान, गाइल्स लन्दन पृ. ४९ २१. ऑन युवान्च्वाङ्ग, वाटर्स २, १५३ २२. ऑन युवान्च्वाङ्ग, वाटर्स २, १५३ २४
SR No.003446
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Literature, & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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