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चालीसवाँ शतक : उद्देशक - १]
४. सव्वाणि वि एक्कासीतिं महाजुम्मसताणि ।
॥ अवांतर महाजुम्मसता समत्ता ॥
॥ चत्तालीसतिमं सयं समत्तं ॥ ४० ॥
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[४] सभी मिला कर महायुग्म-सम्बन्धी ८१ शतक सम्पूर्ण हुए।
विवेचन — शुक्ललेश्यी अभव्य की स्थिति — अभव्य संज्ञी पंचेन्द्रिय की शुक्ललेश्या की स्थिति अन्तर्मुहूर्त-अधिक इकतीस सागरोपम की कही है, वह पूर्वभव के अन्तिम अन्तर्मुहूर्त-सहित नौवें ग्रेवेयक की ३१ सागरोपम की उत्कृष्ट स्थिति की अपेक्षा जाननी चाहिए, क्योंकि अभव्य जीव उत्कृष्ट नौवें ग्रेवेयक तक जाता है तथा वहाँ शुक्ललेश्या होती है ।
८१ महायुग्मशतक — पैंतीसवें से उनचालीसवें शतक तक प्रत्येक के १२-१२ अवान्तर शतक हैं तथा इस चालीसवें शतक के कुल २१ अवान्तरशतक हैं, इस प्रकार कुल शतक ६०+२१ ८१ हुए । ॥ चालीसवाँ शतक : अवान्तरमहायुग्मशतक समाप्त ॥ ॥ चालीसवाँ शतक सम्पूर्ण ॥
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