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[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र
जीवों की ग्यारह स्थानों द्वारा क्रियावादिता आदि प्ररूपणा ... २. जीवा णं भंते ! किं किरियावादी, अकिरियावादी, अन्नाणियवादी, वेणइयवादी ?
गोयमा ! जीवा किरियावादी वि, अकिरियावादी वि, अन्नाणियवादी वि, वेणइयवादी वि। [२ प्र.] भगवन् ! जीव क्रियावादी हैं, अक्रियावादी हैं, अज्ञानवादी हैं अथवा विनयवादी हैं ? । [२ उ.] गौतम ! जीव क्रियावादी भी हैं, अक्रियावादी भी हैं, अज्ञानवादी भी हैं और विनयवादी भी हैं। ३. सलेस्सा णं भंते ! जीवा किं किरियावादी० पुच्छा। गोयमा ! किरियावादी वि जाव वेणइयवादी वि। [३ प्र.] भगवन् ! सलेश्य (लेश्यावाले) जीव क्रियावादी भी हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न। [३ उं.] गौतम ! सलेश्य जीव क्रियावादी भी हैं यावत् विनयवादी भी हैं। ४. एवं जाव सुक्कलेस्सा। [४] इसी प्रकार (कृष्णलेश्या वाले से लेकर) शुक्ललेश्या वाले जीव पर्यन्त जानना। ५. अलेस्सा णं भंते ! जीवा० पुच्छा। गोयमा ! किरियावादी, नो अकिरियावादी, नो अन्नाणियवादी, नो वेणइयवादी। [५ प्र.] भगवन् ! अलेश्य जीव क्रियावादी हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न। .. [५ उ.] गौतम ! वे क्रियावादी हैं, किन्तु अक्रियावादी, अज्ञानवादी या विनयवादी नहीं हैं। ६. कण्हपक्खिया णं भंते ! जीवा किं किरियावादी० पुच्छा। गोयमा ! नो किरियावादी, अकिरियावादी वि, अन्नाणियवादी वि, वेणइयवादी वि। [६ प्र.] भगवन् ! कृष्णपाक्षिक जीव क्रियावादी हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न।
[६ उ.] गौतम ! कृष्णपाक्षिक जीव क्रियावादी नहीं है अपितु अक्रियावादी हैं, अज्ञानवादी भी हैं और विनयवादी भी हैं।
७. सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा। [७] शुक्लपाक्षिक जीवों (का कथन) सलेश्य जीवों के समान जानना चाहिए। ८. सम्मद्दिट्ठी जहा अलेस्सा। [८] सम्यग्दृष्टि जीव, अलेश्य जीव के समान हैं। ९. मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया। [९] मिथ्यादृष्टि जीव, कृष्णपाक्षिक जीवों के समान हैं।