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________________ ५५८] एगारसमो उद्देसओ : ग्यारहवाँ उद्देशक अचरम नैरयिकादि को पापकर्मादि-बन्ध अचरम चौवीस दण्डकों में पापकर्मादिबन्ध-प्ररूपणा १. अचरिमे णं भंते ! नेरतिए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगइए०, एवं जहेव पढमुद्देसए तहेव पढम-बितिया भंगा भाणियव्वा सव्वत्थ जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं। [१ प्र.] भगवन् ! क्या अचरम नैरयिक ने पापकर्म बांधा था ? इत्यादि पूर्ववत् चतुर्भंगात्मक प्रश्न। [१ उ.] गौतम ! किसी ने पापकर्म बांधा था, इत्यादि प्रथम उद्देशक में कहे अनुसार यहाँ भी सर्वत्र प्रथम और द्वितीय भंग पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक पर्यन्त कहना चाहिए। २. अचरिमे णं भंते ! मणुस्से पावं कम्मं कि बंधी० पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी, बंधति, बंधिस्सति;अत्यंगतिए बंधी, बंधति, न बंधिस्सति; अत्थेगतिए बंधी, न बंधति, बंधिस्सति। । [२ प्र.] भगवन् ! क्या अचरम मनुष्य ने पापकर्म बांधा था? इत्यादि पूर्ववत् चतुर्भंगात्मक प्रश्नं। [२ उ.] गौतम ! (१) किसी मनुष्य ने बांधा था, बांधता है और बांधेगा, (२) किसी ने बांधा था, बांधता है और आगे नहीं बांधेगा, (३) किसी मनुष्य ने बांधा था, नहीं बांधता है और आगे बांधेगा। (इस प्रकार अचरम मनुष्य में ये तीन भंग होते हैं।) ३. सलेस्से णं भंते ! अचरिमे मणुस्से पावं कम्मं किं बंधी०? एवं चेव तिन्नि भंगा चरिमविहूणा भाणियव्वा एवं जहेव पढमुद्देसए, नवरं जेसु तत्थ वीससु पदेसु चत्तारि भंगा तेसु इहं आदिल्ला तिन्नि भंगा भाणियव्वा चरिमभंगवजा; अलेस्से केवलनाणी य अजोगी य, एए तिन्नि वि न पुच्छिजति। सेसं तहेव। __ [३ प्र.] भगवन् ! क्या सलेश्यी अचरम मनुष्य ने पापकर्म बांधा था? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न। [३ उ.] गौतम ! पूर्ववत् अन्तिम भंग को छोड़ कर शेष तीन भंग प्रथम उद्देशक के समान यहाँ कहने चाहिए। विशेष यह है कि जिन वीस पदों में वहाँ चार भंग कहे हैं उन पदों में से यहाँ अन्तिम भंग को छोड़ कर आदि के तीन भंग कहने चाहिए। यहाँ अलेश्यी, केवलज्ञानी और अयोगी के विषय में प्रश्न नहीं करना चाहिए। शेष स्थानों में पूर्ववत् जानना चाहिए।
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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