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________________ ४७२] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र सूक्ष्मसम्परायसंयम, असंयम अथवा संयमासंयम को ग्रहण करता है। १३०. छेदोवट्ठावणिए० पुच्छा। गोयमा ! छेदोवट्ठावणियसंजयत्तं जहति; सामाइयसंजमं वा परिहारविसुद्धियसंजमं वा असंजमं वा संजमासंजमं वा उवसंपज्जति। [१३० प्र.] भगवन् ! छेदोपस्थापनीयसंयत छेदोपस्थापनीयसंयतत्त्व को छोड़ते हुए किसे छोड़ता है और किसे ग्रहण करता है? [१३० उ.] गौतम! वह छेदोपस्थापनीयसंतत्त्व का त्याग करता है और सामायिकसंयम, परिहारविशुद्धिकसंयम, सूक्ष्मसम्परायसंयम, असंयम या संयमासंयम को प्राप्त करता है। १३१. परिहारविसुद्धिए० पुच्छा। गोयमा ! परिहारविसुद्धियसंजयत्तं जहति; छेदोवट्ठावणियसंजमं वा असंजमं वा उपसंपज्जइ। [१३१ प्र.] भगवन् ! परिहारविशुद्धिकसंयत परिहारविशुद्धिकसंयतत्त्व को छोड़ता हुआ किसका त्याग करता है और किसको ग्रहण करता है ? _ [१३१ उ.] गौतम! वह परिहारविशुद्धिकसंयतत्त्व का त्याग करता है और छेदोपस्थापनीयसंयम या असंयम को ग्रहण करता है। १३२. सुहुमसंपराए० पुच्छा। गोयमा! सुहुमसंपरायसंजयत्तं जहति; सामाइयसंजमं या छेदोवट्ठावणियसंजमं वा अहक्खायसंजमं या असंजमं या उवसंपज्जइ। [१३२ प्र.] भगवन् ! सूक्ष्मसम्परायसंयत सूक्ष्मसम्परायसंयतत्त्व को छोड़ता हुआ किसका त्याग करता है और किसको ग्रहण करता है।) । [१३२ उ.] गौतम! वह सूक्ष्मसम्परायसंयतत्त्व को छोड़ता है और सामायिकसंयम, छेदोपस्थापनीयसंयम, सूक्ष्मसम्परायसंयम, असंयम अथवा संयमासंयम को ग्रहण करता है। १३३. अहक्खायसंजए० पुच्छा। गोयमा ! अहक्खायसंजयत्तं जहति; सुहुमसंपरागसंजमं वा अस्संजमं वा सिद्धिगतिं वा उवसंपज्जति। [ दारं २४]। [१३३ प्र.] भगवन् ! यथाख्यातसंयत यथाख्यातसंयतत्त्व को त्याग कर किसे त्यागता यावत् किसे प्राप्त करता है ? इत्यादि प्रश्न। [१३३ उ.] गौतम! वह यथाख्यातसंयतत्त्व का त्याग करता है और सूक्ष्मसम्परायसंयम, असंयम या सिद्धिगति को प्राप्त करता है। [चौवीसवाँ द्वार] विवेचन—पांचों प्रकार के संयतों द्वारा त्याग और ग्रहण : एक विश्लेषण (१) सामायिकसंयत सामायिकसंयम को छोड़ कर छेदोपस्थापनीयसंयम तब ग्रहण करता है जब या तो वह तेईसवें तीर्थंकर के तीर्थ
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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