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पढमो नेरइय- उद्देसओ
प्रथम उद्देशक : नैरयिक का उपपात
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गति की अपेक्षा से नैरयिकादि - उपपात - निरूपण
२. रायगिहे जाव एवं वयासी—
[२] राजगृह नगर में गौतम स्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा—
३.[ १ ] नेरइया णं भंते! कओहिंतो उववज्र्ज्जति? किं नेरइएहिंतो उववज्र्ज्जति, तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, मणुस्सेहिंतो उववज्जंति, देवेहिंतो उववज्जंति ?
गोयमा! नो नेरइएहिंतो उववज्जंति, तिरिक्खजोणिएहिंतो वि उववज्जंति, मणुस्सेहिंतो वि उववज्जंति, नो देवेहिंतो उववज्जति ।
[३-१ प्र.] भगवन् ! नैरयिक जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं? क्या वे नैरयिकों से उत्पन्न होते हैं, या तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं; मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, अथवा देवों से आकर उत्पन्न होते हैं?
[३-१ उ.] गौतम! वे नैरयिकों से आकर उत्पन्न नहीं होते, (किन्तु) तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, मनुष्यों से भी उत्पन्न होते हैं, (परन्तु) देवों में आकर उत्पन्न नहीं होते।
[२] जति तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं एगिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, वेइंदियतिरिक्ख०, तेइंदियतिरिक्ख०, चउरिदियतिरिक्ख०, पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ? गोयमा! नो एगिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, नो बेइंदिय० नो तेइंदिय०, नो चउरिंदिय०, पंचेदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति।
[३-२] (भगवन्! ) यदि (नैरयिकजीव) तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं तो क्या वे एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, या द्वीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से, त्रीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से, चतुरिन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से, अथवा पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं?
[ ३-२ उ.] गौतम ! वे न तो एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं और न द्वीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से, न त्रीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से और न चतुरिन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, (किन्तु ) पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं ।
[ ३ ] जति पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं सन्निपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्र्ज्जति, असन्निपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ?
गोयमा! सन्निपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वि उववज्जंति, असन्निपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो